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दुर्गापुर में आ रहा है ‘वास्तविकता का दर्पण’ – मैत्रेयी दत्ता अभिनीत, शीर्षेन्दु-विश्वजीत द्वारा निर्देशित कला फिल्म जल्द होगी रिलीज!

Durgapur: सुकांत बनिक चौधरी, पॉजिटिव वार्ता, दुर्गापुर: जब कला वास्तविकता का हाथ थामकर समाज के सामने खड़ी होती है, तो वह केवल मनोरंजन नहीं रहती – बल्कि समाज के मनन का एक शक्तिशाली माध्यम बन जाती है। ठीक इसी तरह की एक मिसाल पेश करते हुए दुर्गापुर के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक अनोखी लघु कला फिल्म आने वाली है, जिसके माध्यम से जीवन के नग्न सत्य और समाज की वास्तविक तस्वीर सामने आएगी।

इस फिल्म में केंद्रीय भूमिका में बंगाल की जानी-मानी अभिनेत्री मैत्रेयी दत्ता हैं, जिनकी अभिनय कुशलता को पहले ही बंगाली और भारतीय फिल्म जगत में सराहा जा चुका है। जीवन के गहरे अनुभव, सामाजिक पृष्ठभूमि और वास्तविकता का अनुपम मिश्रण इस कला फिल्म में है, जिसका निर्देशन शीर्षेन्दु सरकार और विश्वजीत बाला ने किया है – ये दोनों ही समकालीन सिनेमा की भाषा में साहसिक और संवेदनशील कहानियाँ कहने के लिए जाने जाते हैं।

इस फिल्म में अनिर्बान, मैत्रेयी दत्ता, विश्वजीत लोहार, रजत चक्रवर्ती, बुलु मंडल, विश्वजीत बाला, संजय प्रमाणिक सहित कई अन्य प्रतिष्ठित कलाकारों ने अभिनय किया है। हर किरदार के माध्यम से समाज के गहरे संकट, मानवीय तटस्थता और प्रश्नचिह्न लगे जीवन-शैली को दर्शाया गया है।

फिल्म का हर दृश्य इस तरह से बनाया गया है, जैसे वह जीवन के कैनवास से उतरा हुआ एक वास्तविक दृश्य हो। संवाद, सिनेमैटोग्राफी, पार्श्व संगीत – सब मिलकर यह एक संपूर्ण कलाकृति बन गई है, जो न केवल मन को छू जाएगी, बल्कि दर्शकों को सोचने पर भी मजबूर करेगी।

यह फिल्म जल्द ही दुर्गापुर के विभिन्न सिनेमाघरों और लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिलीज होने वाली है, जहाँ दर्शक आसानी से इस वास्तविकता को समझ पाएंगे।

आलोचकों के अनुसार, यह फिल्म सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जिम्मेदारी का प्रकटीकरण है – यह समाज से सवाल करती है, समाज को पहचानना सिखाती है। मैत्रेयी दत्ता का शानदार अभिनय इस फिल्म को एक अलग ही आयाम पर ले गया है।

अब इंतजार सिर्फ रिलीज के दिन का है!

इस फिल्म के माध्यम से दुर्गापुर की धरती पर एक बार फिर एक नया सांस्कृतिक आंदोलन जन्म लेने वाला है – जहाँ वास्तविकता, कला और मानवीय भावनाएँ एक साथ मिलकर एक असाधारण सिनेमाई अनुभव का निर्माण कर रही हैं।

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