Your Website Title

Positive বার্তা (हिंदी)

A teamwork initiative of Enthusiastic people using Social Media Platforms

Homeब्लॉगसरकारी दफ्तरों में ‘कचरा-क्रांति’! फाइलों के ढेर और टूटी कुर्सियों की सफाई...

सरकारी दफ्तरों में ‘कचरा-क्रांति’! फाइलों के ढेर और टूटी कुर्सियों की सफाई से केंद्र के खजाने में आए 800 करोड़, ISRO के चंद्रयान-3 बजट से भी अधिक

Centre Earns: सरकारी दफ्तरों में वर्षों से जमा धूलभरी फाइलें, टूटे फर्नीचर, जंग खाई अलमारियाँ और अनुपयोगी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण—कभी अव्यवस्था की पहचान कही जाने वाली यही ‘अव्यवस्था’ अब सरकार के लिए सुनहरा खजाना साबित हो रही है। केंद्र सरकार ने प्रशासनिक भवनों में बड़े स्तर पर सफाई अभियान चलाकर केवल अक्टूबर महीने में ही 800 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह राशि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-3 के कुल बजट 615 करोड़ रुपये से 185 करोड़ अधिक है।

यह उपलब्धि सिर्फ एक महीने की नहीं, बल्कि पिछले चार वर्षों में शुरू किए गए एक सम्पूर्ण सरकारी सफाई-मॉडल का हिस्सा है। आंकड़ों के अनुसार, 2021 से अब तक इस अभियान से सरकार कुल 4,097 करोड़ रुपये की कमाई कर चुकी है।

चार साल में रिकॉर्ड कमाई—कबाड़ का भी सोना निकला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में शुरू किए गए इस राष्ट्रीय ‘स्वच्छता एवं दक्षता अभियान’ का मुख्य लक्ष्य था—

  • सरकारी कार्यालयों में अनुपयोगी वस्तुओं की पहचान
  • रिकॉर्ड डिजिटलीकरण
  • अपशिष्ट प्रबंधन
  • दफ्तरों में जगह खाली कर दक्षता बढ़ाना

2021 से 2025 के बीच चलाए गए पाँच प्रमुख अभियानों में सरकार ने विभिन्न मंत्रालयों और केंद्रीय दफ्तरों से हजारों टन स्क्रैप, पुराने फर्नीचर, टूटे उपकरण, अनुपयोगी मशीनें और लाखों पुरानी फाइलें हटाईं। इन सबको व्यवस्थित रूप से नीलाम करके सरकारी खजाने में अरबों रुपये का संचार हुआ।

केवल अक्टूबर 2024 के अभियान में—

  • 29 लाख पुरानी फाइलें
  • लाखों किलो पेपर-वेस्ट
  • हजारों कुर्सियाँ, टेबल, कैबिनेट
  • जर्जर इलेक्ट्रॉनिक कचरा

बेचा गया, जिसके बाद दफ्तरों में 232 लाख वर्गफुट जगह खाली हुई।

इतिहास का सबसे बड़ा प्रशासनिक सफाई अभियान

केंद्रीय प्रशासनिक सुधार एवं जन शिकायत विभाग (DARPG) ने बताया कि यह अभियान अब तक चलाए गए तमाम सरकारी स्वच्छता कार्यक्रमों में सबसे बड़ा है।

इस दौरान दर्ज उपलब्धियाँ:

  • 11.5 लाख से अधिक कार्यालयों की सफाई
  • 54 मंत्रालयों में पुरानी फाइलों व कबाड़ की समग्र निकासी
  • 928.84 लाख वर्गफुट क्षेत्र कबाड़ से मुक्त
  • कुल 166.95 लाख फाइलों की बिक्री

DARPG ने स्क्रैप मैनेजमेंट और मंत्रालयों के बीच समन्वय की भूमिका निभाई। पूरी प्रक्रिया की निगरानी तीन केंद्रीय मंत्रियों—मंसुख मांडविया, के. राममोहन नायडू और जितेंद्र सिंह—ने की।

सूत्र बताते हैं कि इस स्तर की सफाई के लिए वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकों, मंत्रालयों के बीच तालमेल और लगातार निगरानी की आवश्यकता पड़ी।

चंद्रयान-3 की सफलता के साथ समकालिक उपलब्धि

दिलचस्प तथ्य यह है कि सरकारी दफ्तरों में कबाड़ हटाने का यह महाअभियान उसी समय चल रहा था जब ISRO चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की ऐतिहासिक सफलता रच रहा था।

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर भारत को दुनिया का पहला देश बना देता है। इसके बाद रोवर ‘प्रज्ञान’ दो सप्ताह तक चंद्र सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करता रहा।
इस मिशन का बजट था—सिर्फ 615 करोड़ रुपये

अब तुलना करें:
कचरा बेचकर सिर्फ एक महीने में कमाई = ₹800 करोड़
चंद्रयान-3 बजट = ₹615 करोड़

ऐसा पहली बार हुआ कि सरकारी दफ्तरों में पड़ा कबाड़ राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित मिशन से अधिक मूल्यवान सिद्ध हुआ।

ई-वेस्ट से दुर्लभ धातु निकालने की बड़ी पहल—1,500 करोड़ का प्रोत्साहन पैकेज

केंद्र सरकार ने प्रशासनिक कबाड़ हटाने के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक कचरे (E-Waste) से दुर्लभ धातु निकालने का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी शुरू किया है। इसके लिए 1,500 करोड़ रुपये के ‘विशेष प्रोत्साहन योजना’ की घोषणा की गई है।

क्यों है ई-वेस्ट इतना मूल्यवान?

मोबाइल, लैपटॉप, बैटरी, चिप, चार्जर, टैब आदि में प्रयुक्त धातु—

  • लिथियम
  • कोबाल्ट
  • निकेल

दुनिया में इनकी भारी कमी है, और इन पर सबसे अधिक नियंत्रण चीन के पास है।
भारत हर वर्ष लगभग 17.5 लाख टन ई-वेस्ट उत्पन्न करता है, जिसमें करीब 60 किलोटन इस्तेमाल की गई लिथियम-आयन बैटरियां शामिल हैं।

इनसे दुर्लभ धातु निकालकर इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में पुनः उपयोग किया जा सकता है।
देश में इलेक्ट्रॉनिक निर्माण को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

‘राष्ट्रीय जटिल खनिज मिशन’ की स्वीकृति

4 अक्टूबर को केंद्र ने राष्ट्रीय जटिल खनिज मिशन (National Critical Mineral Mission) को मंजूरी दी।
ई-वेस्ट से दुर्लभ खनिज निकालने का कार्यक्रम इसी मिशन के तहत जोड़ा गया है।

खनन मंत्रालय ने दिशानिर्देश जारी करते हुए बताया कि—

  • कई बड़ी औद्योगिक कंपनियाँ पहले ही इस प्रक्रिया में शामिल होने के लिए आवेदन कर चुकी हैं।
  • सरकार ने पूरी रिसाइक्लिंग प्रक्रिया का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है।
  • 2025 के अंत तक भारत में औपचारिक रूप से बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक कचरा रीसाइक्लिंग यूनिटें शुरू हो जाएँगी।

आयात शुल्क हटाने का बड़ा कदम—उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा

2025-26 के केंद्रीय बजट में सरकार ने इस्तेमाल की गई लिथियम-आयन बैटरी के आयात पर शुल्क समाप्त कर दिया है।
इससे विभिन्न उद्यम ई-वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए और उत्साहित होंगे।
सरकार का अनुमान है कि आने वाले 4–5 वर्षों में भारत इलेक्ट्रॉनिक कचरे के पुनर्चक्रण में विश्व का प्रमुख केंद्र बन सकता है।

क्यों जरूरी था यह अभियान?

1. दफ्तरों में अव्यवस्था और जगह की भारी कमी

पुरानी फाइलों और जर्जर फर्नीचर ने दशकों से सरकारी दफ्तरों में जगह घेर रखी थी।
कई इमारतों में 30–40% जगह सिर्फ कबाड़ में तब्दील हो चुकी थी।

2. कागजी रिकॉर्ड की डिजिटल शिफ्टिंग

फाइलों की बिक्री के साथ कई मंत्रालयों ने रिकॉर्ड को डिजिटलीकृत किया।
इसे ‘पेपर-लेस गवर्नेंस’ की दिशा में बड़ा सुधार माना जा रहा है।

3. सरकारी संपत्ति के उपयोग में पारदर्शिता

स्क्रैप की ई-नीलामी ने भ्रष्टाचार की संभावनाएँ कम कीं और अनुशासन बढ़ाया।

4. कचरे से आय का नया स्रोत

अब सरकारी संपत्तियाँ कचरे के रूप में अनुपयोगी नहीं मानी जातीं, बल्कि एक आय स्रोत के रूप में देखी जा रही हैं।

भविष्य की दिशा—कचरे से कमाई की नई अर्थव्यवस्था

विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ शुरुआत है।
आने वाले वर्षों में भारत में ‘वेस्ट-टू-वेल्थ मॉडल’ कई क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है:

  • प्लास्टिक वेस्ट से ईंधन
  • ई-वेस्ट से बैटरी-ग्रेड धातु
  • बायो-वेस्ट से गैस व उर्वरक
  • पुरानी मशीनों से पुनर्निर्माण उद्योग

भारत की बढ़ती जनसंख्या और इलेक्ट्रॉनिक इस्तेमाल को देखते हुए यह क्षेत्र बेहद तेजी से विस्तार कर सकता है।

सरकारी दफ्तरों की धूल भरी पुरानी फाइलों से लेकर टूटे फर्नीचर और ई-वेस्ट तक—भारत ने यह साबित कर दिया है कि यदि सही नीति और पारदर्शी व्यवस्था हो, तो कचरा भी करोड़ों की कमाई करा सकता है।
800 करोड़ रुपये की यह आय न केवल आश्चर्यजनक है, बल्कि यह दिखाती है कि प्रशासनिक सुधार किस तरह देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

एक ओर चंद्रमा पर भारत का झंडा फहरा रहा है, तो दूसरी ओर धरती पर सरकारी दफ्तरों में ‘सफाई क्रांति’ देश का वित्तीय स्वास्थ्य सुधार रही है। दोनों ही भारत के नए आत्मनिर्भर, सक्षम और आधुनिक राष्ट्र बनने की दिशा के प्रतीक हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments