A Pond of Hope: पुरुलिया, पश्चिम बंगाल: छोटानागपुर पठार की कठोरता और आदिवासी जीवन के संघर्ष के बीच, पुरुलिया के मानबाजार-1 ब्लॉक स्थित गोविंदपुर प्राथमिक विद्यालय एक असाधारण सामाजिक पहल के साथ एक नई उम्मीद जगा रहा है। यह शिक्षण संस्थान केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहकर, मिड-डे मील की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने और स्थानीय आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक अभूतपूर्व मत्स्य परियोजना लेकर आया है।
पहल के दोहरे लक्ष्य: पोषण और सशक्तिकरण
यह परियोजना एक साथ दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों को साधने का प्रयास करती है:
पोषण समाधान: यह सुनिश्चित करना कि प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को मिड-डे मील में ताज़ी और पौष्टिक मछली मिले, जिससे उनकी पोषण की कमी को दूर किया जा सके।
महिलाओं का सशक्तिकरण: क्षेत्र की पिछड़ी आदिवासी महिलाओं को मछली पालन के माध्यम से आय का साधन उपलब्ध कराना, जिससे उनके सामाजिक-आर्थिक स्तर में सुधार हो।
इस महत्वाकांक्षी सामाजिक पहल को मूर्त रूप देने के लिए, गोविंदपुर प्राथमिक विद्यालय ने बैरकपुर स्थित ‘आईसीएआर-सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (ICAR-CIFRI) और एक निजी संस्था के साथ साझेदारी की है।
परियोजना का क्रियान्वयन और महिला शक्ति
इस परियोजना के केंद्र में स्थानीय महिलाओं की सक्रिय भागीदारी है। पूंषा और मानबाजार-1 ब्लॉक की कुल 48 महिला स्वयं सहायता समूहों को इस कार्य से जोड़ा गया है।
बुनियादी ढाँचा: कुल 16 बाँधों में लगभग 140 एकड़ जल क्षेत्र में वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन शुरू किया गया है।
सहायता: ICAR-CIFRI ने 1,600 किलोग्राम मछली के बीज (फिश फ्राई), 16 टन मछली का चारा, नावें, जाल और मछली पालन के अन्य आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए हैं।
प्रशिक्षण: महिलाओं को मछली पालन की तकनीकों, भोजन देने के तरीकों, पानी की गुणवत्ता जाँचने और रखरखाव के बारे में हाथों-हाथ प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा, उनकी आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए नियमित रूप से जागरूकता शिविर भी आयोजित किए जा रहे हैं।
आय और पोषण का मेल
विद्यालय के प्रधान शिक्षक अमिताभ मिश्रा के अनुसार, परियोजना से उत्पादित कुल मछली का 50 प्रतिशत स्थानीय प्राथमिक विद्यालयों को दिया जाएगा। यह मछली सीधे छात्रों के मिड-डे मील का हिस्सा बनेगी।
राज्य के पश्चिमांचल विकास विभाग की स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री संध्या रानी टुडू ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि, “इस कार्य से स्कूली छात्रों को उचित पोषण मिलेगा, वहीं आदिवासी महिलाओं की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में भी तेजी से सुधार होगा।”
अतिरिक्त आय का जरिया: रंगीन मछली पालन
मुख्य मत्स्य परियोजना के अलावा, महिलाओं के लिए घर बैठे आय का एक नया द्वार खोलने के लिए रंगीन मछली पालन की पहल भी शुरू की गई है। इसके तहत, गोविंदपुर में एफआरपी टैंक, एरेटर, फ़ीड और देशी रंगीन मछलियाँ वितरित की गई हैं। यह महिलाओं को घर पर रहते हुए अतिरिक्त आय कमाने का अवसर प्रदान करेगा।
CIFRI के निदेशक डॉ. बसंत कुमार दास ने इस परियोजना के महत्व को समझाते हुए कहा, “इस पहल से दो काम एक साथ हो रहे हैं, जो इसकी मुख्य विशेषता है। महिलाओं को मछली पालन से जोड़ना न केवल उनकी आय बढ़ाएगा, बल्कि इस पहल से लगभग 531 आर्थिक रूप से कमजोर आदिवासी परिवारों को सीधे लाभ होगा।”
यह कदम पुरुलिया के जंगलमहल क्षेत्र में एक टिकाऊ और समावेशी ग्रामीण परिवर्तन की राह प्रशस्त करने की उम्मीद जगाता है।





