Beat Belly Fat: तिर्यक चक्रासन एक सरल और शक्तिशाली स्टैंडिंग पोज़ है जिसमें कमर और ऊपरी शरीर को मोड़ा जाता है। यह उन लोगों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जिन्हें जटिल चक्रासन (Wheel Pose) करने में कठिनाई होती है।
तिर्यक चक्रासन करने की विधि (Steps to do Tiryaka Chakrasana)
प्रारंभिक स्थिति (Starting Position):
एक योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएँ।
दोनों पैरों के बीच लगभग एक से डेढ़ फीट की दूरी रखें।
श्वास-प्रश्वास सामान्य रखें।
हाथों की मुद्रा (Hand Position):
दोनों हाथों को सामने की ओर सीधा फैलाएँ।
दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फँसा (interlock) लें।
इस अवस्था में पीठ सीधी रहेगी और कमर को मोड़ना नहीं है।
ऊपर उठाना (Raising the Arms):
श्वास लेते हुए, फँसी हुई उंगलियों वाले दोनों हाथों को सिर के ऊपर सीधा उठाएँ।
झुकना और मोड़ना (Bending and Twisting):
श्वास छोड़ते हुए, आगे की ओर झुकें। कमर को इस तरह मोड़ें कि आपके शरीर का ऊपरी हिस्सा पैरों के साथ समकोण (90 डिग्री) बनाए।
हाथों को इसी अवस्था में रखते हुए, अब शरीर को एक बार दाईं ओर और एक बार बाईं ओर मोड़ें (Twist)।
अंतिम स्थिति और वापसी (Final Pose and Return):
इस मुद्रा में 20 सेकंड तक रुकें (अपनी क्षमतानुसार)।
श्वास लेते हुए धीरे-धीरे शुरुआती खड़ी अवस्था में वापस आ जाएँ।
✅ तिर्यक चक्रासन के फायदे (Benefits of Tiryaka Chakrasana)
नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करने से आपको निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं:
पेट और कमर की चर्बी कम करे: यह आसन पेट और कमर के किनारों पर बेहतरीन खिंचाव (Stretching) पैदा करता है, जिससे वसा कम करने और पेट और कमर की चर्बी घटाने में मदद मिलती है।
दर्द में राहत: कंधे और पीठ के दर्द को कम करता है। साथ ही, घुटनों के दर्द से राहत दिलाने में भी सहायक है क्योंकि यह पैर और कोर की मांसपेशियों को मजबूत करता है।
रीढ़ की हड्डी का लचीलापन: यह मेरुदंड (रीढ़ की हड्डी) को लचीला और मजबूत बनाता है, जिससे पोश्चर में सुधार होता है।
रक्त संचार और हृदय स्वास्थ्य: पूरे शरीर में रक्त संचार को ठीक करता है, जिससे हृदय का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
मांसपेशियों की शक्ति: यह हाथ, कंधे और पीठ की मांसपेशियों की शक्ति को बढ़ाता है।
पाचन में सुधार: यह पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत देता है।
⚠️ सावधानियां: किसे यह आसन नहीं करना चाहिए?
कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों में इस आसन को करने से बचना चाहिए या किसी प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक की सलाह पर ही करना चाहिए:
रीढ़ की हड्डी की सर्जरी: यदि आपकी रीढ़ की हड्डी की हाल ही में कोई सर्जरी हुई हो।
स्लिप डिस्क: स्लिप डिस्क या गंभीर साइटिका की समस्या होने पर।
गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं को यह आसन प्रशिक्षक की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए।
कलाई या कूल्हे की गंभीर चोट: कलाई, पसली या कूल्हे में किसी तरह की गंभीर चोट होने पर।
नियमित योग और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप मोटापे और शरीर के दर्द दोनों पर काबू पा सकते हैं।






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