Your Website Title

Positive বার্তা (हिंदी)

A teamwork initiative of Enthusiastic people using Social Media Platforms

Homeब्लॉगदुर्गापुर में भाईचारे का अनूठा पर्व: रक्षा बंधन पर दिखी शहर की...

दुर्गापुर में भाईचारे का अनूठा पर्व: रक्षा बंधन पर दिखी शहर की एकता और उत्सव की भावना

Durgapur: दुर्गापुर, 9 अगस्त, 2025: शनिवार को रक्षा बंधन के अवसर पर पूरा दुर्गापुर शहर भाईचारे और सौहार्द के रंगों में सराबोर हो गया। यह पर्व केवल भाई-बहन के रिश्ते तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि क्लबों, सामाजिक संस्थाओं और आम नागरिकों के सामूहिक प्रयासों से एक बड़े सामाजिक उत्सव में बदल गया, जिसने पूरे शहर में एकता और प्रेम का संदेश फैलाया।

सुबह से ही शहर की सड़कों और मोहल्लों में एक विशेष उत्सव का माहौल देखने को मिला। राह चलते लोगों से लेकर समाज के प्रतिष्ठित व्यक्तियों तक, सभी की कलाइयों पर भाईचारे का प्रतीक राखी सजी हुई थी। दुर्गापुर के वार्ड संख्या 24, 26, 27, और 43 सहित कई इलाकों में इस उत्सव की धूम मची रही। जाति, धर्म और उम्र के भेदभाव को भुलाकर हर कोई इस जश्न में शामिल हुआ, जो शहरवासियों के बीच गहरी सामाजिक एकजुटता को दर्शाता है।

इस अवसर पर शहर के जाने-माने समाजसेवी, श्री भीमसेन मंडल की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। उनके मार्गदर्शन में आयोजित कई कार्यक्रमों में, विभिन्न क्लबों के सदस्यों और स्थानीय निवासियों ने एक-दूसरे को राखी बांधी और समाज में एकता और सद्भाव को मजबूत करने का संकल्प लिया। इन कार्यक्रमों में कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों ने भी भाग लिया और लोगों के साथ मिलकर उत्सव की खुशियाँ साझा कीं।

शहर के विभिन्न क्लबों और सामाजिक संस्थाओं ने इस दिन को और भी यादगार बना दिया। कई स्थानों पर केवल राखी बांधने की रस्म ही नहीं हुई, बल्कि बच्चों के लिए विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम और खेल-कूद प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया। इसके साथ ही, बुजुर्गों को मिठाई और उपहार भेंट कर उनके चेहरों पर मुस्कान लाने की सराहनीय पहल भी की गई, जिससे यह उत्सव हर पीढ़ी के लिए खास बन गया।

पूरा शहर उत्सव के उल्लास में डूबा हुआ था — रंग-बिरंगी राखियाँ, पारंपरिक संगीत की धुनें और चारों ओर फैले हँसी-खुशी के पल। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो दुर्गापुर एक दिन के लिए ‘भाईचारे की राजधानी’ में परिवर्तित हो गया हो।

संक्षेप में, 9 अगस्त को मनाया गया यह रक्षा बंधन पर्व केवल एक परंपरा का निर्वहन नहीं था, बल्कि यह लोगों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम, सम्मान और एकजुटता का एक जीवंत प्रदर्शन था। दुर्गापुर शहर ने यह साबित कर दिया कि जब एकता का बंधन मजबूत होता है, तो समाज स्वतः ही प्रकाशित और उज्ज्वल हो जाता है।

और पढ़ें: आत्मनिर्भरता की ओर कन्याश्री विश्वविद्यालय का नया कदम

RELATED ARTICLES

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments