Unveiling Susunia: गर्मी की छुट्टियों में अगर आप प्रकृति की गोद में सुकून के कुछ पल बिताना चाहते हैं, तो पश्चिम बंगाल का बाँकुड़ा जिला आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। यह जिला अपने मनोरम पहाड़ी दृश्यों, कलकल करती झरनों, घने जंगलों, रहस्यमयी सुरंगों और प्राचीन गुफाओं के साथ पर्यटकों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करता है।
यहाँ का मुख्य आकर्षण है सुশুनिया पहाड़, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। सपने जैसे सुंदर पहाड़ और उनसे बहते झरने किसी का भी मन मोह सकते हैं। पहाड़ों को घेरे हुए हरी-भरी वनस्पति इस स्थान की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।
प्रकृति, इतिहास और संस्कृति का अद्भुत संगम:
सुशुनिया के आसपास के आदिवासी गाँव अपनी रंगीन दीवारों और पारंपरिक कलाकृतियों से एक अलग ही दुनिया का अनुभव कराते हैं। यहाँ की दीवारों पर बने भेषज रंगों के चित्र प्रागैतिहासिक युग की याद दिलाते हैं। इसके अलावा, यहाँ कई प्राचीन मंदिर भी हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है।
जो लोग एडवेंचर के शौकीन हैं, उनके लिए सुशुनिया में ट्रेकिंग की भी व्यवस्था है। घने जंगलों और पथरीले रास्तों से होकर गुजरना एक रोमांचक अनुभव होता है।
गर्मियों की शुरुआत सुशुनिया घूमने का सबसे अच्छा समय है। इन दिनों मौसम सुहावना रहता है और पहाड़ियों पर छाई धुंध एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है। पर्यटकों की हल्की भीड़ के बीच आप इस ऐतिहासिक पहाड़ी के शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं।
सुशुनिया पहाड़ के पास ठहरने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। मरूतबाह इकोपार्क से लेकर युवा आवास तक, यहाँ 300 रुपये से शुरू होने वाले बजट-फ्रेंडली आवास उपलब्ध हैं।
कोलकाता से बाँकुड़ा स्टेशन के लिए सीधी ट्रेनें चलती हैं। बाँकुड़ा से बस या कार द्वारा छातना होते हुए आसानी से सुशुनिया पहुँचा जा सकता है। दो दिन का समय निकालकर आप यहाँ के पहाड़, झरने, भरतपुर जैसे प्रमुख स्थानों का भ्रमण कर सकते हैं।
सुशुनिया पहाड़ का एक महत्वपूर्ण आकर्षण नरसिंह मंदिर है, जो पहाड़ पर चढ़ने वाले मुख्य रास्ते के पास स्थित है। इस मंदिर से जुड़ी कई लोककथाएं और मान्यताएं प्रचलित हैं। मंदिर के ठीक सामने एक छोटा सा झरना सदियों से बह रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह झरना कभी नहीं सूखता। दिलचस्प बात यह है कि सर्दियों में इस झरने से गर्म पानी निकलता है, जबकि गर्मियों में ठंडा पानी बहता है। झरने के पास ही एक तालाब है, जिसे स्थानीय भाषा में ‘गढ़’ कहा जाता है। झरने का पानी इसी तालाब में जमा होता है, लेकिन इसका जलस्तर कभी एक निश्चित सीमा से ऊपर नहीं जाता।
इतिहास प्रेमियों के लिए सुशुनिया पहाड़ के पश्चिमी छोर पर एक दुर्गम गुफा में चंद्र बर्मा का शिलालेख मौजूद है, जो इस क्षेत्र के प्राचीन इतिहास की झलक दिखाता है। इसके अलावा, सुशुनिया पहाड़ अपनी समृद्ध वनस्पति के लिए भी जाना जाता है। यहाँ कई अज्ञात औषधीय पौधे पाए जाते हैं।
कुल मिलाकर, बाँकुड़ा जिले का सुशुनिया पहाड़ प्रकृति, इतिहास और आदिवासी संस्कृति का एक अनूठा संगम है। गर्मी की छुट्टियों में इस खूबसूरत जगह की यात्रा आपको तरोताजा और आनंदित कर देगी। यह एक ऐसा पर्यटन केंद्र है जहाँ आपको एक साथ आदिবাসী संस्कृति, प्रागैतिहासिक पृष्ठभूमि, औषधीय पौधों का खजाना और अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य देखने को मिलेगा। तो, इस गर्मी की छुट्टियों में बाँकुड़ा के सुशुनिया पहाड़ की यात्रा की योजना बनाना एक शानदार विचार हो सकता है!
और पढ़ें: पुरुलिया में जापानी प्रशिक्षकों द्वारा कराटे प्रशिक्षण: जंगलमहल का बढ़ता कदम