Tuhin’s Green Embrace: सुकान्त बनिक चौधरी, पॉजिटिव वार्ता: पाँच साल का एक छोटा लड़का है, नाम है तुहिन। वह गाँव के एक छोटे से घर में रहता है, जिसके चारों ओर खुले मैदान और खुला आकाश है। खेलने-कूदने, दौड़ने-भागने और पढ़ाई के बीच उसका सबसे पसंदीदा काम है — पेड़ लगाना।
तुहिन का अपने घर के पीछे एक छोटा-सा बगीचा है। वहीं उसने अपने हाथों से आम, नीम, कृष्णचूड़ा, बेल और टैगोर के पेड़ लगाए हैं। हर दिन स्कूल से लौटकर वह सीधा अपने पेड़ों के पास चला जाता है। एक-एक करके पानी देता है, मिट्टी खोदकर देखता है कि कहीं जड़ों में कीड़े तो नहीं लग गए हैं। उसने अपने पेड़ों के नाम भी रखे हैं — “मीठू”, “गुड्डू”, “चाँदू”।
एक दिन उसकी माँ ने उससे पूछा, “तुहिन, तुम पेड़ों से इतना प्यार क्यों करते हो?”
तुहिन ने मुस्कुराते हुए कहा, “वे मेरे दोस्त हैं माँ, वे बड़े होकर छाया देंगे, फल देंगे। गर्मी में वे हवा देते हैं। अगर मैं उनसे प्यार नहीं करूँगा तो और कौन करेगा?”
तुहिन का यह प्यार धीरे-धीरे आस-पास के सभी लोगों को छू गया। उसे देखकर पड़ोस के दूसरे लड़के-लड़कियों ने भी पेड़ लगाना शुरू कर दिया। स्कूल में एक छोटा-सा वृक्षारोपण अभियान भी शुरू हुआ — जिसका नाम “तुहिन का बगीचा” रखा गया।
यह छोटा तुहिन हमें याद दिलाता है — प्यार केवल इंसानों में ही नहीं, प्रकृति में भी हो सकता है। अगर हर बच्चा उसकी तरह पेड़ों से प्यार करे, तो एक दिन सचमुच हमारी पृथ्वी हरी-भरी हो उठेगी।
एक छोटा हाथ एक बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकता है — तुहिन इसका प्रमाण है।
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