Positive Barta: नई दिल्ली, 14 जून— सामाजिक सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय उपलब्धि के रूप में, “पॉजिटिव वार्ता” को आज एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया। यह पुरस्कार “किसी एक व्यक्ति द्वारा विभिन्न मंचों पर सबसे बड़े सामाजिक सशक्तिकरण अभियान” की श्रेणी में दिया गया, जो इस पहल की विशिष्टता को दर्शाता है। राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित यह समारोह, एक ऐसे आंदोलन का उत्सव था जिसने अनगिनत लोगों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
शनिवार दोपहर शुरू हुए इस कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने चार चांद लगा दिए। इनमें राष्ट्रपति भवन के प्रतिनिधि श्री संजीव घई, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की प्रतिनिधि डॉ. श्वेता झा, गृह मंत्रालय, भारत सरकार के श्री सिकंदर यादव, दैनिक भास्कर के दिल्ली ब्यूरो प्रमुख श्री मुकेश कौशिक, अर्जुन अवार्डी व पूर्व वायुसेना अधिकारी कैप्टन भगीरथ सामुई, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद अहमद, सर गंगाराम अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट के सह-निदेशक डॉ. सुरेश सिंघवी, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष श्री गौतम लहरी, मिसाइल एक्सप्रेस ग्रुप ऑफ न्यूज़पेपर के समूह संपादक श्री एस.एच. शम्स, तथा देश के विभिन्न हिस्सों से आए अन्य प्रेरक व्यक्तित्व शामिल थे। यह दिन केवल एक सम्मान समारोह नहीं, बल्कि एक सपने, एक आवाज और मानव सशक्तिकरण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया।
समारोह के दौरान, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स की प्रतिनिधि डॉ. श्वेता झा ने पॉजिटिव वार्ता के संस्थापक और सीईओ श्री मालय पीत को यह सम्मान प्रदान किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में बताया कि पॉजिटिव वार्ता का दृष्टिकोण एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अद्वितीय है, जिसका कोई समानांतर अभियान नहीं है। इसी विशिष्टता के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया है।
इस ऐतिहासिक अवसर को चिह्नित करने के लिए, पॉजिटिव वार्ता ने एक राष्ट्रीय जन-जागरूकता कार्यक्रम का भी आयोजन किया, जिसका शीर्षक था: “पॉजिटिव वार्ता: एक आंदोलन सकारात्मकता और सशक्तिकरण का।” इस कार्यक्रम ने शिक्षा, स्वास्थ्य, नागरिक समाज और महिला उद्यमिता सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के विचारशील नेताओं को एक साझा मंच पर लाकर विचारों और भावनाओं के सशक्त संगम का सूत्रपात किया।
एक ऐसे समय में जब दुनिया नकारात्मकता, भय और विभाजन से जूझ रही है, पॉजिटिव वार्ता ने एक अलग राह चुनी है। यह पहल एक व्यक्ति के इस गहरे विश्वास से शुरू हुई कि अच्छी खबरें मायने रखती हैं, सशक्तिकरण की शुरुआत जमीनी स्तर पर होनी चाहिए, और सकारात्मक कहानियों को व्यापक मंच मिलना चाहिए।
पुरस्कार प्राप्त करते हुए श्री मालय पीत ने कहा: “मैं आभारी हूं, लेकिन इससे भी अधिक मैं इस बात के प्रति आश्वस्त हूं कि सबसे बेहतरीन कहानियां अधूरी होती हैं। पुरस्कार हमें यह याद दिलाते हैं कि हम सही रास्ते पर हैं – इसका मतलब यह नहीं कि हम मंजिल पर पहुंच चुके हैं। पॉजिटिव वार्ता के पीछे की टीम और उससे जुड़े हजारों जीवनों के लिए यह सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि यह एक याद है कि जब मकसद कार्रवाई को दिशा देता है, तो रिकॉर्ड अपने आप बनते हैं।”
उन्होंने पॉजिटिव वार्ता टीम के अथक प्रयासों को याद करते हुए अपने संबोधन का समापन एक सरल निमंत्रण के साथ किया: “आज एक सकारात्मक कहानी घर लेकर जाएं। हम मानते हैं कि आशा की एक भी कहानी किसी जीवन को बदल सकती है। सोचिए, अगर ऐसी कहानियां लाखों हों तो क्या कुछ नहीं हो सकता।” यह निमंत्रण हर किसी को सकारात्मकता के इस आंदोलन का हिस्सा बनने और एक बेहतर भविष्य के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित करता है।
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