Lectures and demonstrations on Biochemistry: शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 12 दिसंबर 2024 को आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, डॉ. बिस्वजीत साहा, जैव रसायन के प्रमुख विशेषज्ञ, ने जैव रसायन के सिद्धांतों और उनके चिकित्सकीय अनुप्रयोगों पर एक व्यापक व्याख्यान और प्रदर्शन दिया। यह आयोजन छात्रों, शिक्षकों और चिकित्सकों के लिए एक अद्भुत अवसर साबित हुआ, जिन्होंने डॉ. साहा से जैव रसायन के क्षेत्र में नवीनतम शोध और चिकित्सकीय उपयोग के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त की।
डॉ. बिस्वजीत साहा: जैव रसायन के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम (Lectures and demonstrations on Biochemistry)
डॉ. बिस्वजीत साहा, जो जैव रसायन में पीएचडी धारक हैं और इस क्षेत्र में एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् और शोधकर्ता के रूप में पहचान रखते हैं, ने अपनी प्रस्तुति में जैव रसायन के जटिल विषयों को सरल और समझने योग्य तरीके से पेश किया। उनके द्वारा दिए गए व्याख्यान में चिकित्सा विज्ञान, आणविक जीवविज्ञान, और चयापचय विकारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
डॉ. साहा ने बताया कि जैव रसायन आधुनिक चिकित्सा का आधार है क्योंकि यह शरीर के रासायनिक और जैविक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करता है। उनका कहना था कि बिना जैव रसायन के ज्ञान के, चिकित्सा में हुए नए सुधारों और बीमारियों के उपचार के तरीकों को समझना संभव नहीं है।
जैव रसायन का चिकित्सा में महत्व
डॉ. साहा ने अपने व्याख्यान की शुरुआत जैव रसायन के महत्व से की और यह स्पष्ट किया कि जैव रसायन चिकित्सा विज्ञान के प्रत्येक पहलू में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा, “हमारे शरीर की हर कोशिका एक जैव रासायनिक कारख़ाना है। अगर हम समझना चाहते हैं कि शरीर कैसे काम करता है और बीमारियां कैसे उत्पन्न होती हैं, तो हमें जैव रसायन को समझना जरूरी है।”
उन्होंने शरीर के विभिन्न जैव रासायनिक रास्तों, जैसे ग्लाइकोलाइसिस, क्रेब्स सायकल, और ऑक्सीडेटिव फॉस्फोराइलेशन के बारे में बताया, जो शरीर की ऊर्जा प्रक्रिया के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन प्रक्रियाओं में किसी भी तरह की गड़बड़ी से बीमारियां उत्पन्न हो सकती हैं, और जैव रसायन इस गड़बड़ी को समझने में मदद करता है।
जैव रसायन और रोगों का अध्ययन
व्याख्यान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जैव रसायन के चिकित्सकीय अनुप्रयोग पर था, जिसमें डॉ. साहा ने यह बताया कि कैसे जैव रसायन का उपयोग विभिन्न रोगों के निदान में किया जाता है। उन्होंने बताया कि जैव रसायन तकनीकों, जैसे एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसोर्बेंट एसे (ELISA), क्रोमेटोग्राफी और स्पेक्ट्रोफोटोमेट्री का उपयोग चिकित्सीय प्रयोगशालाओं में किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार के रोगों की पहचान करने में सहायक हैं।
डॉ. साहा ने बताया, “आजकल हम जैव रसायन परीक्षणों के जरिए मेटाबोलिक विकार, हार्मोनल असंतुलन और इंफेक्शन जैसी बीमारियों का पहले पता लगा सकते हैं, इससे इलाज पहले शुरू किया जा सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि जैव रसायन का उपयोग न केवल रोगों के निदान के लिए, बल्कि उपचार के प्रभाव का मूल्यांकन करने में भी किया जाता है।
जैव रसायन और व्यक्तिगत चिकित्सा
डॉ. साहा ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए व्यक्तिगत चिकित्सा (Personalized Medicine) पर विशेष ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि कैसे जैव रसायन और जीनोमिक्स के क्षेत्र में हुए शोध ने व्यक्तिगत चिकित्सा की दिशा को नया रूप दिया है। व्यक्तिगत चिकित्सा का उद्देश्य प्रत्येक मरीज के जैविक और आनुवांशिक विशेषताओं के आधार पर इलाज को अनुकूलित करना है।
“जैव रसायन और जीनोमिक्स के मिलेजुले उपयोग से अब हम रोगियों के लिए अनुकूलित उपचार विकसित कर सकते हैं, जिससे उपचार के प्रभाव और सुरक्षा में वृद्धि होती है,” डॉ. साहा ने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि जेनेटिक परीक्षणों के द्वारा अब हम यह पता लगा सकते हैं कि किसी व्यक्ति को किसी विशेष दवा से किस तरह का प्रतिक्रिया हो सकता है, जिससे दवाओं का चयन ज्यादा प्रभावी हो सकता है।
अनुसंधान और नवाचार
डॉ. साहा ने व्याख्यान में हाल ही में हुए जैव रसायन के क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण अनुसंधान और नवाचारों का उल्लेख किया। उन्होंने CRISPR जैसी जीन संपादन तकनीकों के बारे में बात की, जो अब जैव रसायन और चिकित्सा में नई संभावनाओं का द्वार खोल रही हैं। CRISPR का उपयोग जीन में उत्पन्न दोषों को सही करने और जीन आधारित बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जा रहा है, जो चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांति ला सकता है।
उन्होंने यह भी बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग जैव रसायन के शोध में किया जा रहा है, जिसके माध्यम से दवाओं की खोज और उनके प्रभाव को और भी बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। “AI की मदद से हम दवाओं के प्रभाव और उनके दुष्प्रभावों की पहचान और भी अधिक सटीकता से कर सकते हैं,” डॉ. साहा ने बताया।
छात्रों और शिक्षकों से संवाद
कार्यक्रम के बाद, डॉ. साहा ने छात्रों और शिक्षकों के साथ एक संवाद सत्र आयोजित किया, जिसमें प्रतिभागियों ने अपने सवाल पूछे और डॉ. साहा ने उनके जवाब दिए। छात्रों ने जैव रसायन के विभिन्न पहलुओं, जैसे एंजाइम के क्रियावली, जैव रसायन में जीनोमिक्स के उपयोग, और मेटाबोलिक विकारों के बारे में प्रश्न पूछे। डॉ. साहा ने उन्हें विस्तार से समझाया और अपने शोध के अनुभवों को साझा किया।
एक छात्र ने पूछा, “डॉ. साहा, जैव रसायन के क्षेत्र में आपको कौन सा सबसे रोमांचक विकास लगता है?” इसके जवाब में डॉ. साहा ने कहा, “आजकल जैव रसायन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मिलेजुले उपयोग से बहुत सारी नई दवाएं और उपचार के तरीके विकसित किए जा रहे हैं, यह क्षेत्र सबसे रोमांचक है।”
समापन और भविष्य की दिशा
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. साहा ने छात्रों को जैव रसायन के क्षेत्र में नए शोध और विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “जैव रसायन का क्षेत्र हमेशा बदल रहा है और इसमें बहुत सी नई संभावनाएं हैं। अगर आप इसे सही दिशा में अपनाते हैं, तो आपके लिए इस क्षेत्र में अपार अवसर हैं।”
संतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के प्रशासन ने डॉ. साहा को उनके समय और अमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद दिया और यह सुनिश्चित किया कि भविष्य में इसी तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, ताकि छात्रों को और अधिक विशेषज्ञों से सीखने का मौका मिल सके।
इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि चिकित्सा शिक्षा में जैव रसायन की महत्वपूर्ण भूमिका है और इसे समझने से चिकित्सकों को रोगों के निदान और उपचार में अधिक सफलता मिल सकती है। संतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आने वाले वर्षों में इसी तरह के और कार्यक्रम आयोजित करने का संकल्प लेता है, जो छात्रों के लिए ज्ञान और कौशल को बढ़ावा देने का काम करेंगे।
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