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उद्योग नगरी दुर्गापुर ने बढ़ाया हाथ: उत्तर बंगाल बाढ़ पीड़ितों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹5 लाख का अनुदान

Industrial Hub: कोलकाता/दुर्गापुर, ९ अक्टूबर: उत्तर बंगाल में विनाशकारी बाढ़ से जूझ रहे लोगों की मदद के लिए उद्योग नगरी दुर्गापुर ने आगे बढ़कर मानवता का परिचय दिया है। दुर्गापुर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (Durgapur Chamber of Commerce and Industry) ने मुख्यमंत्री राहत कोष में ₹५ लाख की महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दार्जिलिंग, कलिम्पोंग, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार और अलीपुरद्वार जिलों के बड़े हिस्से बाढ़ के पानी में डूबे हुए हैं।

त्वरित सहायता के लिए सरकार को सहयोग

बुधवार को आसनसोल-दुर्गापुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (ADDA) कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में चैंबर की ओर से इस निर्णय की घोषणा की गई। चैंबर के अध्यक्ष चंदन दत्त ने बताया कि, “हम देख रहे हैं कि उत्तर बंगाल के कई जिले भयंकर क्षति का सामना कर रहे हैं। इस समय सबसे प्रभावी तरीका है कि यह राशि सीधे सरकार को सौंपी जाए, क्योंकि उनकी पहुँच और तंत्र के माध्यम से ही राहत सामग्री सबसे तेज़ी से और सही जगह पर पहुँच सकती है।”

विपदा में एकजुटता का संदेश

चैंबर से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यदि उत्तर बंगाल की बाढ़ की स्थिति और अधिक गंभीर होती है, तो सहायता की राशि बढ़ाने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता। यह दर्शाता है कि दुर्गापुर का औद्योगिक समुदाय सिर्फ व्यापारिक हितों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी को भी पूरी निष्ठा से निभाता है।

त्रासदी का भीषण रूप

तीस्ता, तलडु और अन्य नदियों का जल खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जिसके कारण कई गाँव जलमग्न हो गए हैं। सड़कों, पुलों और खेती की ज़मीनों को भारी नुकसान पहुँचा है, और हज़ारों लोग बेघर हो गए हैं। इस भयावह स्थिति में, दुर्गापुर चैंबर का यह योगदान केवल आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि मानवीय दायित्व का एक शानदार उदाहरण है।

संगठन ने जोर देकर कहा कि, “आपदा के समय एक-दूसरे के साथ खड़ा होना ही सच्ची सामाजिक जिम्मेदारी है। हमें उम्मीद है कि यह पहल राज्य के अन्य औद्योगिक और व्यापारिक संगठनों को भी आगे आने के लिए प्रेरित करेगी।”

प्रकृति के प्रकोप से जूझ रहे उत्तर बंगाल के लिए, औद्योगिक शहर दुर्गापुर द्वारा बढ़ाया गया यह सहानुभूतिपूर्ण हाथ यह साबित करता है कि राज्य के लोग अभी भी एक सूत्र में बंधे हैं, और मानवीयता की भावना किसी भी आपदा से गहरी नहीं हो सकती।

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