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शरीर रचना विज्ञान को कैसे बनाएं आसान: छात्रों के लिए एक मार्गदर्शिका – डॉ. अभिजीत रॉय द्वारा व्यावहारिक कक्षा प्रदर्शन और व्याख्यान, सांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में

How to Make Anatomy Easy: शरीर रचना विज्ञान को सरल बनाने की अनोखी विधि: डॉ. अभिजीत रॉय का दृष्टिकोण

शरीर रचना विज्ञान, जिसे मेडिकल शिक्षा में सबसे चुनौतीपूर्ण विषयों में से एक माना जाता है, को सांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हाल ही में एक विशेष तरीके से छात्रों के लिए आसान और समझने योग्य बनाया गया। डॉ. अभिजीत रॉय द्वारा प्रस्तुत “शरीर रचना विज्ञान पर व्याख्यान” और वास्तविक शव विच्छेदन प्रदर्शन ने छात्रों को शरीर की संरचना को समझने का एक नया तरीका दिया। इस सत्र का मुख्य उद्देश्य था शरीर रचना विज्ञान को न केवल सरल बनाना बल्कि छात्रों के लिए इसे एक व्यावहारिक और रोचक अनुभव में बदलना।

शरीर रचना विज्ञान में आने वाली चुनौतियाँ

मेडिकल छात्रों के लिए शरीर रचना विज्ञान एक अहम विषय है, लेकिन यह विषय अक्सर अपनी जटिलताओं और विस्तृत जानकारी के कारण छात्रों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है। हड्डियाँ, मांसपेशियाँ, अंग, नसें, रक्तवाहिकाएँ, और अंग प्रणालियों की संरचना और कार्यों को याद करना न केवल समय-साध्य होता है, बल्कि यह छात्रों के लिए एक मानसिक चुनौती भी हो सकता है।

“शरीर रचना विज्ञान एक जटिल मोल्ड की तरह है, जिसे अगर हम सही तरीके से समझें और अध्ययन करें तो यह बहुत आसान हो जाता है,” डॉ. अभिजीत रॉय ने अपने व्याख्यान के दौरान कहा। उनके दृष्टिकोण ने शरीर रचना विज्ञान को छात्रों के लिए एक संरचित, व्यावहारिक, और इंटरएक्टिव अनुभव में बदल दिया।

डॉ. अभिजीत रॉय का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण

डॉ. रॉय, जो शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज में शरीर रचना विज्ञान के वरिष्ठ प्रोफेसर हैं, अपने अभिनव और छात्रों को सक्रिय रूप से शामिल करने वाले शिक्षण विधियों के लिए प्रसिद्ध हैं। वह मानते हैं कि शरीर रचना विज्ञान को केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे एक अनुभवात्मक और व्यावहारिक तरीका अपनाकर समझाया जाना चाहिए। उनका मानना है कि जब छात्र शरीर के अंगों और संरचनाओं को वास्तविक रूप में देखेंगे और समझेंगे, तब ही वे इसे बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।

“शरीर रचना विज्ञान सिर्फ एक सैद्धांतिक विषय नहीं है, यह एक तीन-आयामी संरचना है। जब छात्र इसे असली रूप में देखते हैं, तो वे इसे और बेहतर समझ पाते हैं,” डॉ. रॉय ने कहा।

व्यावहारिक कक्षा प्रदर्शन: शरीर रचना विज्ञान को जीवंत बनाना

इस सत्र का मुख्य आकर्षण था जीवित शव पर किया गया विच्छेदन प्रदर्शन। डॉ. रॉय ने छात्रों को धीरे-धीरे शव विच्छेदन की प्रक्रिया से परिचित कराया, जहां उन्होंने हड्डियों, मांसपेशियों, नसों और अंगों को विस्तार से दिखाया और उनकी कार्यप्रणाली पर व्याख्यान दिया। इस प्रदर्शन ने छात्रों को शरीर की संरचनाओं को केवल किताबों में नहीं, बल्कि वास्तविक रूप में देखने का मौका दिया।

डॉ. रॉय ने इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से किया, जहां सबसे पहले हड्डी प्रणाली का अवलोकन किया गया, फिर मांसपेशियाँ और तंत्रिका तंत्र के बारे में बताया गया। छात्र उनके प्रत्येक कदम को ध्यान से देख रहे थे और हर एक अंग की कार्यप्रणाली और शरीर में उनके स्थान को समझने की कोशिश कर रहे थे।

“शरीर रचना विज्ञान को समझने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप इसे वास्तविक रूप में देखें। जब आप शरीर के प्रत्येक अंग को व्यक्तिगत रूप से पहचानते हैं, तो आपको यह एहसास होता है कि इन सभी अंगों का एक दूसरे के साथ गहरा संबंध होता है,” डॉ. रॉय ने कहा।

स्पेसियल और विज़ुअल लर्निंग के माध्यम से शरीर रचना विज्ञान को सरल बनाना

एक प्रमुख चुनौती जो छात्रों को शरीर रचना विज्ञान में आती है, वह है जटिल संरचनाओं और उनके अंतर-संबंधों को समझना। पारंपरिक पाठ्यपुस्तकों और चित्रों से शरीर के अंगों और प्रणालियों को समझना बहुत कठिन हो सकता है। डॉ. रॉय ने इस समस्या का समाधान करने के लिए आधुनिक विज़ुअल टूल्स और 3D मॉडल्स का उपयोग किया।

“शरीर रचना विज्ञान में सफलता का राज है कि हम अंगों को केवल एक आयाम में नहीं, बल्कि एक तीन-आयामी तरीके से देखें। इस वजह से हम शरीर के अंगों को ठीक से समझ सकते हैं और उनके आपसी संबंध को पहचान सकते हैं,” डॉ. रॉय ने कहा।

उन्होंने छात्रों को शरीर के अंगों को 3D डिजिटल इमेजिंग और मॉडलिंग के माध्यम से देखने का तरीका दिखाया, जिससे छात्र बेहतर तरीके से यह समझ सके कि विभिन्न अंगों और प्रणालियों का आपस में किस तरह से संबंध होता है। यह तकनीक छात्रों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई क्योंकि अब वे शरीर रचना विज्ञान को एक इंटरएक्टिव और विज़ुअल रूप में देख पा रहे थे।

सक्रिय पुनरावलोकन और पुनःस्मरण की महत्ता

डॉ. रॉय ने शरीर रचना विज्ञान के अध्ययन में सक्रिय पुनःस्मरण और अभ्यास की अहमियत को भी समझाया। “शरीर रचना विज्ञान को केवल एक बार याद करना पर्याप्त नहीं है। इसे बार-बार देखना और याद करना जरूरी है ताकि आप इसे दीर्घकालिक स्मृति में सुरक्षित रख सकें,” डॉ. रॉय ने बताया।

उन्होंने छात्रों को पुनःस्मरण तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दी, ताकि वे केवल अंगों और प्रणालियों के बारे में न सोचें, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन में कैसे लागू करना है, यह भी समझें। उन्होंने सक्रिय पुनरावलोकन का महत्व बताया, जिसमें छात्र अपने अध्ययन के बाद खुद से सवाल पूछते हैं और अपनी जानकारी की समीक्षा करते हैं।

सहकारी अध्ययन का महत्व

डॉ. रॉय का मानना है कि शरीर रचना विज्ञान का अध्ययन अकेले नहीं बल्कि समूह में किया जाना चाहिए। “जब छात्र समूह में अध्ययन करते हैं, तो वे अपने विचारों और जानकारी को साझा करते हैं, जिससे उनका ज्ञान और भी मजबूत होता है,” उन्होंने कहा।

कक्षा में छात्र अक्सर छोटे समूहों में विभाजित होते थे, जहाँ वे एक-दूसरे से अंगों के बारे में पूछते थे, उनकी कार्यप्रणाली पर चर्चा करते थे और एक-दूसरे को उनके ज्ञान को समझाने की कोशिश करते थे। इससे न केवल उनकी समझ में वृद्धि होती थी, बल्कि यह उन्हें आत्म-विश्वास भी देता था।

आधुनिक तकनीकों का उपयोग: शरीर रचना विज्ञान का वास्तविक अनुप्रयोग

डॉ. रॉय ने यह भी बताया कि शरीर रचना विज्ञान का ज्ञान केवल शैक्षिक नहीं, बल्कि चिकित्सा क्षेत्र में भी बेहद महत्वपूर्ण है। जब डॉक्टर शरीर की संरचना को ठीक से समझते हैं, तो वे सटीक निदान करने में सक्षम होते हैं और सर्जरी के दौरान जटिलताएं कम होती हैं। “शरीर रचना विज्ञान डॉक्टर की पहली और सबसे महत्वपूर्ण पाठशाला है। जब आप शरीर को समझते हैं, तो आप बेहतर डॉक्टर बनते हैं,” डॉ. रॉय ने कहा।

 शरीर रचना विज्ञान को सरल बनाना

शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज में डॉ. अभिजीत रॉय द्वारा दिया गया यह व्याख्यान और शव विच्छेदन प्रदर्शन छात्रों के लिए न केवल एक शैक्षिक अनुभव था, बल्कि यह शरीर रचना विज्ञान को समझने का एक नया और आसान तरीका भी था। उनके शिक्षण दृष्टिकोण ने यह सिद्ध कर दिया कि शरीर रचना विज्ञान को केवल किताबों से नहीं, बल्कि वास्तविक अनुभवों और आधुनिक तकनीकों से भी समझा जा सकता है।

यह सत्र छात्रों के लिए एक प्रेरणा था कि वे शरीर रचना विज्ञान को न केवल एक कठिन विषय के रूप में देखें, बल्कि इसे एक आकर्षक और मजेदार अनुभव के रूप में स्वीकार करें। डॉ. रॉय के दृष्टिकोण ने यह साबित कर दिया कि अगर शरीर रचना विज्ञान को सही तरीके से पढ़ाया जाए, तो यह न केवल आसान बल्कि दिलचस्प भी हो सकता है।

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