Father of Hilsa: इस बार मछली पकड़ने का मौसम दिघा के मछुआरों के लिए किसी जैकपॉट से कम नहीं साबित हुआ है! जिस तरह से ‘चांदी की फसल’ कही जाने वाली हिलसा ने चेहरे पर मुस्कान लाई है, वहीं एक ऐसी दुर्लभ मछली ने तो दिघा के तट पर ‘लक्ष्मी लाभ’ का माहौल बना दिया है कि दाम सुनकर आप भी चौंक जाएंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं लाखों रुपये में बिकने वाली एक खास मछली की, जिसने इस बार हिलसा को भी कीमत के मामले में कई गोल दे दिए हैं।
मछली पकड़ने का शुभ आरंभ: हिलसा के साथ तेलिया भोला का डबल धमाका
अभी सिर्फ तीन दिन ही हुए हैं मछुआरों के ट्रॉलरों, नौकाओं और बोटों को समुद्र में उतरे हुए। और कमाल देखिए, इस बार तो मछली पकड़ने का मौसम शुरू होते ही मछुआरों को हिलसा के साथ-साथ एक दुर्लभ प्रजाति की मछली भी मिली है। पूर्वी भारत के सबसे बड़े समुद्री मत्स्य नीलामी केंद्र, दिघा मोहना मत्स्य नीलामी केंद्र में इस समय उत्सव का माहौल है। बुधवार को लाखों रुपये की भोला मछली दिघा मोहना मत्स्य नीलामी केंद्र में बिक्री के लिए लाई गई। इस दुर्लभ और विशेष भोला मछली की कीमत लाखों रुपये से भी ज्यादा है।
रिकॉर्ड तोड़ कमाई: एक किलो तेलिया भोला ₹1700 में!
चालू वर्ष में मछली पकड़ने का मौसम अभी-अभी शुरू हुआ है, और पहले दिन से ही समुद्र में मछली पकड़ने के लिए अनुकूल वातावरण है। दिघा मोहना मत्स्य नीलामी केंद्र में समुद्री मछलियों की आपूर्ति धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिससे मछुआरों के चेहरों पर खुशी साफ दिख रही है।
18 जून, बुधवार को दिघा मोहना मत्स्य नीलामी केंद्र में टन-टन हिलसा मछली के साथ-साथ 29 तेलिया भोला मछलियां भी नीलामी के लिए आईं। इन मछलियों को एमकेबी आढ़त में नीलामी के लिए रखा गया। कड़ी बोली के बाद, एक कंपनी ने प्रति किलोग्राम ₹1700 की उच्चतम कीमत घोषित की! 29 मछलियों का कुल वजन 456 किलोग्राम था, जो कुल मिलाकर लगभग ₹8 लाख में बिकीं।
दवा उद्योग में भारी मांग: लाखों का मुनाफा और जिले के लिए समृद्धि
ये मछलियां पूर्वी मेदिनीपुर जिले के ट्रॉल मालिक मिहिर कुमार भुइयां के ट्रालर में पकड़ी गईं थीं। तेलिया भोला का पोटा, जिसे स्थानीय भाषा में ‘पोटका’ कहा जाता है, औषधीय गुणों से भरपूर होता है और इसका उपयोग महंगी दवाएं बनाने में होता है। इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में जबरदस्त मांग है और यह मुख्य रूप से विदेशों में ही भेजी जाती है। हालांकि, इस बार मछलियों का वजन थोड़ा कम था, इसलिए कीमत थोड़ी कम मिली।
दिघा-फिशरमैन एंड फिश ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन श्यामसुंदर दास ने बताया, “आमतौर पर इस तरह की मछलियां मौसम के अंत में दिखाई देती हैं। लेकिन इस साल तो मौसम की शुरुआत से ही तेलिया भोला मिल रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि आज की मछलियां आकार में अपेक्षाकृत बहुत छोटी थीं, उसी के अनुसार उन्हें कीमत मिली है। मौसम के शुरुआती दिनों में हिलसा के साथ-साथ इस तरह की कीमती और औषधीय गुणों वाली लाभदायक मछली मिलने से मछुआरे बेहद खुश हैं। उम्मीद की जा रही है कि चालू मौसम में दिघा मोहना में रिकॉर्ड मात्रा में मछली आएगी।
यह गहरी पानी की मछली है, जो आमतौर पर नहीं मिलती। शायद ही कभी किसी के जाल में एक-दो फंस जाती है, और जिसके भी जाल में यह फंसती है, उसे तो मानो लॉटरी लग जाती है। जिले के ही इस ट्रॉल मालिक को ये मछलियां मिली हैं, जिससे जिले को भी आर्थिक लाभ हुआ है। इसलिए, पूर्वी मेदिनीपुर में खुशी का माहौल है।
और पढ़ें: इस भीषण गर्मी में राहत का प्राकृतिक तरीका: इनडोर पौधे बनाएंगे आपका घर ठंडा और मन को शांत