Dr. Achyut Ghosal’s Insightful Lecture: शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आज एक अत्यंत प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें डॉ. अच्युत घोषाल, जो एक प्रसिद्ध फिजियोलॉजिस्ट और शिक्षाविद् हैं, ने मेडिकल छात्रों को फिजियोलॉजी (शरीर क्रिया) के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिया और कक्षा में व्यावहारिक प्रदर्शन किया। यह कार्यक्रम छात्रों के लिए शरीर के कार्यों और जैविक प्रक्रियाओं को समझने का एक अनूठा अवसर था, जो स्वास्थ्य और रोग दोनों को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
फिजियोलॉजी का चिकित्सा में महत्व
सत्र की शुरुआत में डॉ. अच्युत घोषाल ने फिजियोलॉजी के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “जब शरीर की संरचना को एनेटॉमी के माध्यम से समझा जाता है, तो फिजियोलॉजी यह बताती है कि वह संरचना कैसे काम करती है। फिजियोलॉजी के बिना कोई भी चिकित्सक सही तरीके से उपचार नहीं कर सकता।” उन्होंने छात्रों को बताया कि शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों के कार्यों को जानना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यही जानकारी चिकित्सकों को बीमारियों के निदान और उपचार के लिए मार्गदर्शन देती है।
डॉ. घोषाल ने फिजियोलॉजी के अध्ययन को मेडिकल शिक्षा का मूल आधार बताया। “फिजियोलॉजी यह समझने में मदद करती है कि शरीर कैसे कार्य करता है और शरीर के विभिन्न अंग और प्रणालियाँ कैसे एक साथ काम करती हैं, ताकि शरीर के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखा जा सके।”
शरीर की कार्यप्रणाली: प्रमुख प्रणालियों की समझ
इसके बाद, डॉ. घोषाल ने शरीर की प्रमुख शारीरिक प्रणालियों का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने हृदय प्रणाली, सांस प्रणाली, तंत्रिका तंत्र, और अंतःस्रावी तंत्र पर चर्चा की। प्रत्येक प्रणाली के कार्य और उसके शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव की गहराई से व्याख्या की।
हृदय प्रणाली: सबसे पहले, डॉ. घोषाल ने हृदय और रक्त संचार प्रणाली पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हृदय शरीर का पंप होता है, जो रक्त को पूरे शरीर में संचारित करता है, ताकि कोशिकाओं तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंच सकें। उन्होंने रक्तचाप, हृदय की धड़कन और रक्त संचार के महत्व को समझाया। “अगर रक्त संचार ठीक से नहीं होता, तो अंगों तक जीवनदायिनी ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती, जिससे शारीरिक कार्य प्रभावित होता है,” उन्होंने कहा।
इसके अलावा, डॉ. घोषाल ने हृदय रोगों जैसे हाइपरटेंशन, हृदयाघात और अर्टेरियोस्क्लेरोसिस पर भी चर्चा की, जो रक्त संचार में गड़बड़ी के कारण उत्पन्न होते हैं।
सांस प्रणाली: इसके बाद, डॉ. घोषाल ने सांस प्रणाली की कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति और कार्बन डाइऑक्साइड के निष्कासन की प्रक्रिया कैसे होती है। “हमारे फेफड़े गैसों का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे रक्त में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है और शरीर के अवांछनीय तत्व बाहर निकलते हैं,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बताया कि आस्थमा, सीओपीडी और फेफड़ों में सूजन जैसी समस्याएं सांस प्रणाली के कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे श्वास संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
तंत्रिका तंत्र: डॉ. घोषाल ने तंत्रिका तंत्र के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समझाया कि मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और तंत्रिका कोशिकाएं कैसे एक-दूसरे से संवाद करती हैं, ताकि शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों को नियंत्रित किया जा सके। “तंत्रिका तंत्र शरीर का नियंत्रण केंद्र है, जो शरीर की सभी शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है,” डॉ. घोषाल ने कहा।
उन्होंने यह भी बताया कि तंत्रिका तंत्र में गड़बड़ी से होने वाली बीमारियों, जैसे पार्किंसन रोग, मल्टीपल स्क्लेरोसिस और एपिलेप्सी, के बारे में भी चर्चा की। इन बीमारियों के कारण शरीर की क्रियाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों में कार्यों का असंतुलन हो सकता है।
अंतःस्रावी तंत्र: अंत में, डॉ. घोषाल ने अंतःस्रावी तंत्र की कार्यप्रणाली पर चर्चा की, जो शरीर में हार्मोन के उत्पादन और नियंत्रण का कार्य करता है। उन्होंने पिट्यूटरी ग्रंथि, थायरॉयड, एड्रिनल ग्रंथि और अंडकोष/अंडाशय के कार्यों के बारे में बताया और समझाया कि यह हार्मोन शरीर के विभिन्न कार्यों को नियंत्रित करते हैं, जैसे कि वृद्धि, मेटाबोलिज्म, और तनाव प्रतिक्रिया।
उन्होंने अंतःस्रावी विकारों, जैसे डायबिटीज मेलिटस, हाइपोथायरॉइडिज़म और हाइपरथायरॉइडिज़म, पर भी चर्चा की और बताया कि ये विकार हार्मोन असंतुलन के कारण उत्पन्न होते हैं।
कक्षा प्रदर्शन: शारीरिक प्रक्रियाओं की समझ
डॉ. घोषाल ने व्याख्यान के बाद कक्षा में एक प्रायोगिक प्रदर्शन किया, जिसमें छात्रों को शरीर की कार्यप्रणालियों को समझने का अवसर मिला। इस प्रदर्शन में विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को वास्तविक उपकरणों और मॉडलों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।
रक्तचाप मापना: सबसे पहले, डॉ. घोषाल ने छात्रों को स्फिग्मोमैनोमीटर (ब्लड प्रेशर मापने का यंत्र) से रक्तचाप मापने का तरीका दिखाया और समझाया। उन्होंने रक्तचाप के महत्व और सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दबाव के बीच अंतर को स्पष्ट किया। छात्रों ने स्वयं भी रक्तचाप मापने का अभ्यास किया, जिससे वे इसे सही तरीके से समझ सके।
श्वसन दर और ऑक्सीजन स्तर मापना: इसके बाद, डॉ. घोषाल ने पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करके छात्रों को श्वसन दर और ऑक्सीजन स्तर मापने की प्रक्रिया दिखाई। यह प्रदर्शन छात्रों को सांस प्रणाली की कार्यप्रणाली को समझने में मददगार रहा।
न्यूरोलॉजिकल परीक्षण: डॉ. घोषाल ने न्यूरोलॉजिकल परीक्षण भी किए, जैसे कि घुटने की प्रतिक्रिया और बाबिंस्की प्रतिक्रिया, ताकि छात्रों को तंत्रिका तंत्र के सही कार्य का अवलोकन हो सके।
आधुनिक तकनीक का फिजियोलॉजी शिक्षा में योगदान
डॉ. घोषाल ने यह भी बताया कि आजकल की आधुनिक तकनीकें, जैसे 3D मॉडल्स, वर्चुअल रियलिटी और सिमुलेशन छात्रों को शरीर की प्रक्रियाओं को और अधिक समझने में मदद करती हैं। “अब हम शरीर की संरचना और कार्यों को वर्चुअली 3D मॉडल्स के माध्यम से देख सकते हैं, जो शारीरिक प्रक्रियाओं को समझने में बेहद मददगार होते हैं,” उन्होंने कहा।
फिजियोलॉजी और चिकित्सा प्रैक्टिस
डॉ. घोषाल ने छात्रों को यह समझाने की कोशिश की कि फिजियोलॉजी का ज्ञान न केवल शारीरिक प्रक्रियाओं को समझने के लिए आवश्यक है, बल्कि यह चिकित्सा प्रैक्टिस में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। “यदि हम शरीर के सामान्य कार्यों को नहीं समझते, तो हम रोगों का निदान और उपचार प्रभावी ढंग से नहीं कर सकते।”
कार्यक्रम के अंत में, डॉ. घोषाल ने छात्रों को फिजियोलॉजी के अध्ययन में निरंतर रुचि बनाए रखने और इसके महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, “फिजियोलॉजी केवल एक विषय नहीं है, बल्कि यह एक डॉक्टर के रूप में आपके प्रत्येक निर्णय का आधार है।”
इस ज्ञानवर्धक सत्र ने छात्रों को शारीरिक प्रक्रियाओं को समझने में गहरी मदद दी और उनके शैक्षिक अनुभव को समृद्ध किया।
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