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राजस्थान के बहाज गाँव में 4500 साल पुरानी सभ्यता की खोज: सरस्वती नदी और वैदिक काल के इतिहास में क्रांतिकारी मोड़

भारत के इतिहास में एक अभूतपूर्व और रोमांचक अध्याय जुड़ गया है। राजस्थान के नागौर जिले के डीडवाना-कुचामन क्षेत्र के अंतर्गत बहाज गाँव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा की जा रही खुदाई में 4500 साल पुरानी एक अज्ञात सभ्यता के अवशेषों की खोज हुई है। यह खोज न केवल पुरातात्विक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैदिक काल, ऋग्वेद में वर्णित सरस्वती नदी और प्राचीन भारतीय संस्कृति के अनेक रहस्यों पर प्रकाश डाल सकती है।

सरस्वती नदी का रहस्य उजागर?

इस अभियान की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि मानी जा रही है – एक प्राचीन, अब विलुप्त हो चुकी नदी की धारा का पता लगना, जो 23 मीटर गहराई में दबा हुआ था। पुरातत्वविदों का मानना है कि यह नदी सरस्वती हो सकती है, जिसके बारे में ऋग्वेद में विस्तार से उल्लेख है, पर जिसे अब तक मिथक माना जाता रहा।

ASI के साइट प्रभारी पवन सरस्वत का कहना है,
“यदि यह वास्तव में सरस्वती नदी का प्राचीन प्रवाह है, तो यह भारत के पौराणिक इतिहास को ऐतिहासिक साक्ष्यों के साथ जोड़ने वाला सबसे बड़ा प्रमाण हो सकता है।”

यह नदीधारा डीडवाना होते हुए ब्रज और मथुरा तक फैली हुई थी, ऐसा भूवैज्ञानिक संकेत भी मिल रहे हैं। नदी के तल में पाए गए बालू की परतें, शैल संरचना और तलछट विश्लेषण, ऋग्वेदीय वर्णनों से मिलते हैं।

बहाज गाँव की ऐतिहासिक थाती: खुदाई में मिले चौंकाने वाले साक्ष्य

बहाज गाँव में अब तक की खुदाई से 800 से अधिक पुरातात्विक वस्तुएं प्राप्त की गई हैं, जो अलग-अलग कालखंडों की सभ्यताओं की झलक देती हैं। इनमें शामिल हैं—

  • ब्राह्मी लिपि में उकेरे गए प्राचीन मुद्राएं (सिलमोह़र), जो भारत की लेखन प्रणाली के प्रारंभिक प्रमाण माने जा रहे हैं।
  • मौर्यकालीन मूर्तियां, यज्ञकुंड और देवी प्रतिमाएं, जो उस समय की धार्मिक मान्यताओं को दर्शाती हैं।
  • गुप्त युग की स्थापत्य कला के अवशेष, जैसे मिट्टी के स्तंभ और दीवारें।
  • धातुशिल्प के प्रमाण, जिनमें ताँबा और लोहे को गलाने की भट्टियाँ प्रमुख हैं।
  • हड्डी, शंख और पत्थर से बने गहने, घरेलू उपकरण, और बर्तन, जो उस समय की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का संकेत देते हैं।
  • टेरेकोटा से निर्मित शिव-पार्वती की मूर्तियाँ, सूई, कंघी, और व्यापारिक वस्तुएं— ये सभी उस युग की समृद्ध धार्मिक और आर्थिक संरचना को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।

ASI के वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं,
“इन अवशेषों से यह स्पष्ट होता है कि बहाज एक सुव्यवस्थित, कला-प्रधान, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से समृद्ध सभ्यता का केंद्र रहा होगा।”

मानव कंकाल: 4000 साल पुराना रहस्य

खुदाई में प्राप्त एक मानव कंकाल इस परियोजना की सबसे बहुमूल्य खोजों में से एक है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह कंकाल लगभग 4000 वर्ष पुराना है। इसे डीएनए और कार्बन डेटिंग विश्लेषण के लिए इज़राइल की एक प्रतिष्ठित प्रयोगशाला में भेजा गया है।

यदि विश्लेषण सफल होता है, तो इससे प्राचीन लोगों की जातीय संरचना, आहार, रोग, मृत्यु कारण और जीवनशैली की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकती है। यह भारत के आदिमानव इतिहास की गुत्थियों को सुलझाने की दिशा में एक बड़ी छलांग होगी।

बहाज को राष्ट्रीय पुरातात्विक धरोहर घोषित करने की सिफारिश

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें बहाज गाँव को ‘राष्ट्रीय संरक्षित पुरातात्विक क्षेत्र’ घोषित करने की सिफारिश की गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि,
“राजस्थान में अब तक जितने भी ऐतिहासिक अवशेष पाए गए हैं, उनके मुकाबले बहाज में प्राप्त प्रमाण सबसे अधिक गहराई, विस्तार और प्रमाणिकता वाले हैं।”
इस खोज से न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के ऐतिहासिक मानचित्र पर एक नया सितारा उभरा है।

पौराणिकता और इतिहास के बीच एक पुल

हजारों वर्षों से भारतीय संस्कृति में सरस्वती नदी को ज्ञान, विज्ञान और वैदिक परंपराओं की देवी माना गया है। लेकिन इतिहासकारों और वैज्ञानिकों के बीच यह बहस चलती रही है कि क्या सरस्वती नदी का अस्तित्व कभी वास्तव में था या यह मात्र धार्मिक प्रतीक है।

बहाज की यह खुदाई संभवतः पहली बार इन पौराणिक मान्यताओं को ठोस वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ जोड़ रही है। इससे यह सिद्ध हो सकता है कि वैदिक साहित्य, केवल कल्पना नहीं, बल्कि ऐतिहासिक घटनाओं का काव्यात्मक विवरण हो सकता है।

अभी तो शुरुआत है: भविष्य की राह में कई रहस्य

ASI और संबद्ध विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञ मानते हैं कि बहाज की खुदाई अभी प्रारंभिक चरण में है। भविष्य में विस्तृत खुदाई, भूगर्भीय सर्वेक्षण, उपग्रह छवियों का विश्लेषण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से यह क्षेत्र भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण अध्ययन स्थल बन सकता है।

संभावना है कि यहाँ से और भी मानव अवशेष, शिलालेख, शिल्पकला, धातुकर्म और धार्मिक प्रमाण मिल सकते हैं, जो वैदिक काल के रहस्यों को उजागर करेंगे।

निष्कर्ष: बहाज—मिट्टी में दबी हुई विरासत की आवाज

बहाज गाँव, जो अब तक राजस्थान के एक सामान्य गाँव के रूप में जाना जाता था, अब भारत की प्राचीन सभ्यता का प्रतीक बन चुका है। यहाँ की मिट्टी से निकले अवशेष एक ऐसी कहानी कह रहे हैं, जो न केवल इतिहास को समृद्ध करेंगे, बल्कि हमारी पहचान को भी फिर से परिभाषित करेंगे।

सरस्वती नदी की खोज, प्राचीन मूर्तियां, धर्म और अर्थव्यवस्था के प्रमाण— सबकुछ जैसे एक मौन इतिहास को बोलने का मौका दे रहे हैं।

भारत अब इतिहास को सिर्फ किताबों में नहीं, जमीन के नीचे से भी पढ़ रहा है। और बहाज गाँव उसकी सबसे नई पाठशाला बन चुका है।

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