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शलभासन: पेट की चर्बी और पाचन समस्याओं का प्राकृतिक समाधान

Conquer Digestive: आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली में, जहां शारीरिक गतिविधि की कमी और असंतुलित आहार आम हो गया है, पेट पर चर्बी का जमा होना और पाचन संबंधी गड़बड़ियां एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। इन समस्याओं से निपटने के लिए योग एक प्राचीन और अत्यंत प्रभावी उपाय है। योगासनों की श्रृंखला में, शलभासन (जिसे टिड्डी आसन भी कहा जाता है) एक ऐसा शक्तिशाली आसन है जो सीधे आपके पाचन तंत्र और पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों पर काम करता है।

यह आसन न केवल पेट की चर्बी को कम करने में मदद करता है, बल्कि पाचन अंगों को उत्तेजित करके उनकी कार्यक्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याओं से प्राकृतिक रूप से राहत मिलती है।

शलभासन करने की सही विधि

इस आसन का अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए इसे सही ढंग से करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए इसे करने के चरणों को समझें:

आधार स्थिति: सबसे पहले, एक योगा मैट पर पेट के बल आराम से लेट जाएं। अपनी दोनों टांगों को सीधा और एक-दूसरे से सटाकर रखें। हथेलियों को नीचे की ओर रखते हुए अपनी जांघों के नीचे दबा लें। अपनी ठुड्डी को फर्श पर टिका कर रखें।

एक-एक पैर से अभ्यास: अब, गहरी सांस भरते हुए, अपने बाएं पैर को बिना घुटना मोड़े जितना हो सके ऊपर की ओर उठाएं। इस स्थिति में अपनी क्षमता के अनुसार 5 से 10 सेकंड तक रुकें और सांस को सामान्य रखें। फिर, सांस छोड़ते हुए पैर को धीरे-धीरे नीचे लाएं। यही प्रक्रिया अपने दाहिने पैर से दोहराएं।

पूर्ण शलभासन: अब दोनों पैरों से एक साथ अभ्यास करने के लिए तैयार हो जाएं। एक गहरी सांस अंदर भरें और अपनी दोनों टांगों को एक साथ, बिना घुटने मोड़े, ऊपर की ओर उठाएं। अपने शरीर का भार पेट और छाती पर संतुलित करने का प्रयास करें। इस अंतिम मुद्रा में 5-10 सेकंड तक रुकें।

विश्राम: सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपनी टांगों को नीचे लाएं और कुछ क्षणों के लिए मकरासन में विश्राम करें। इस पूरी प्रक्रिया को अपनी क्षमता के अनुसार 3 से 5 बार दोहराएं।

शलभासन के स्वास्थ्य लाभ

पेट की चर्बी घटाए: यह आसन पेट, कमर और कूल्हों पर जमी अतिरिक्त चर्बी को जलाने के लिए बहुत प्रभावी है।

पाचन तंत्र को सुधारे: यह पेट के अंगों पर दबाव डालकर उनकी मालिश करता है, जिससे पाचन अग्नि तीव्र होती है और भोजन बेहतर तरीके से पचता है।

मांसपेशियों को मजबूती दे: यह पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को सुदृढ़ और शक्तिशाली बनाता है।

रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाए: इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ता है और पीठ दर्द से राहत मिलती है।

शारीरिक संतुलन में सुधार: शलभासन के अभ्यास से शरीर में स्थिरता और संतुलन की भावना विकसित होती है।

किसे यह आसन नहीं करना चाहिए?

कुछ विशेष परिस्थितियों में इस आसन को करने से बचना चाहिए:

गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था के दौरान पेट पर दबाव पड़ने के कारण यह आसन नहीं करना चाहिए।

रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट: यदि आपको स्लिप डिस्क या रीढ़ की हड्डी से जुड़ी कोई गंभीर समस्या है, तो इस आसन से बचें।

उच्च रक्तचाप: जिन लोगों को उच्च रक्तचाप या हृदय संबंधी समस्या है, उन्हें योग चिकित्सक से परामर्श के बाद ही इसे करना चाहिए।

संक्षेप में, शलभासन एक सरल लेकिन अत्यंत लाभकारी योग है। यदि इसे सही तकनीक और नियमितता के साथ किया जाए, तो यह न केवल आपके पाचन को बेहतर बना सकता है, बल्कि एक सुडौल और स्वस्थ शरीर पाने में भी आपकी मदद कर सकता है। स्वस्थ आहार और नियमित योगाभ्यास को अपनाकर आप एक सकारात्मक और ऊर्जावान जीवन जी सकते हैं।

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