Sikkim’s bamboo water bottles: गंगटोक, 20 जुलाई, 2025 – पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सिक्किम ने एक और साहसिक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने प्लास्टिक से बनी पीने के पानी की बोतलों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इस पर्यावरण-अनुकूल पहल के तहत बांस से बनी पुन: प्रयोज्य बोतलों को अनिवार्य किया गया है, जिससे सिक्किम देश का पहला राज्य बन गया है जिसने यह अनूठा उदाहरण प्रस्तुत किया है।
राज्य के पर्यावरण विभाग ने सूचित किया है कि अगले महीने से राज्य भर के सभी दुकानों, होटलों, पर्यटन स्थलों और सरकारी कार्यक्रमों में बांस से बनी बोतलों का उपयोग अनिवार्य होगा। ये बोतलें 100% प्राकृतिक, आसानी से सड़नशील और बार-बार इस्तेमाल की जा सकती हैं। स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाई गई ये बोतलें राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देंगी।
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा, “पर्यटन और पर्यावरण – दोनों हमारे राज्य की पहचान हैं। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर बांस की बोतलों को लागू करना सिर्फ एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण जागरूकता का एक आंदोलन है।”
इस निर्णय से पर्यावरणविद् समुदाय भी खुश है। उनके अनुसार, हिमालय की गोद में स्थित सिक्किम लंबे समय से पर्यावरण-अनुकूल नीतियों में देश के लिए एक मिसाल कायम करता रहा है। इस बार भी यह अपवाद नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि हर साल लाखों प्लास्टिक की बोतलें हिमालय की नदियों, जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों को प्रदूषित कर रही हैं। यदि सिक्किम के इस निर्णय का अन्य राज्य भी अनुकरण करते हैं, तो भारत के पहाड़ी और पर्यटन राज्यों में पर्यावरण संरक्षण में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है।
आम जनता और पर्यटक भी इस निर्णय का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना है कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए पर्यटन को और अधिक आकर्षक तथा जिम्मेदार बनाना अब समय की मांग है।
सिक्किम ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो तो प्रकृति और तकनीक साथ-साथ चल सकते हैं। प्लास्टिक छोड़कर बांस के रास्ते पर चलकर इस पहाड़ी राज्य ने दिखा दिया है कि पर्यावरण जागरूकता का भविष्य अभी से शुरू करने की आवश्यकता है।
और पढ़ें: अलीपुर चिड़ियाघर में अब अत्याधुनिक क्लॉक रूम की सुविधा: पर्यटकों के लिए एक बड़ी राहत
[…] और पढ़ें: सिक्किम का हरा-भरा क्रांति: प्लास्टिक … […]