Ravana Lanka: भारत की प्राचीन सभ्यता, साहित्य और पुराणों में अनेक रहस्य, मिथक और ऐतिहासिक संभावनाएँ छिपी हुई हैं। ऐसी ही एक रहस्यपूर्ण कथा है रावण की लंका की, जिसे रामायण में सुनहरे महलों और समृद्ध सभ्यता के रूप में वर्णित किया गया है। पर क्या यह लंका केवल एक काल्पनिक नगर थी, या इसके पीछे छिपा है एक भूगोलिक और ऐतिहासिक यथार्थ?
कुछ आधुनिक शोधकर्ताओं और प्राचीन तमिल साहित्य के अध्येताओं का मानना है कि रावण की वास्तविक लंका वर्तमान श्रीलंका नहीं, बल्कि कुमरिकांडम (या लेमुरिया) नामक एक खोया हुआ महाद्वीप था, जो कभी भारत महासागर में अवस्थित था और बाद में समुद्र में डूब गया। आइए, इस रहस्यमयी सिद्धांत और इससे जुड़ी पुराण, साहित्य और विज्ञान की परतों को खोलते हैं।
🛕 रावण की लंका: बवाल और भव्यता का प्रतीक
वाल्मीकि रामायण में रावण की लंका को स्वर्णमयी, उच्च तकनीकी, समृद्ध संस्कृति और असाधारण निर्माण शैली वाली नगरी के रूप में चित्रित किया गया है। यह नगर समुद्र के पार था, जहाँ भगवान राम की वानर सेना ने “सेतुबंध” बनाकर पहुँचा।
रामायण के अनुसार, यह लंका भारत के मूल भूभाग से लगभग 100 योजन (करीब 1200 किलोमीटर) दूर स्थित थी। ध्यान देने योग्य बात यह है कि वर्तमान में भारत (रामेश्वरम) और श्रीलंका (मन्नार द्वीप) के बीच की समुद्री दूरी केवल 30 से 50 किमी है। तो फिर यह 1200 किमी दूर की लंका कहाँ थी?
🌊 कुमरिकांडम: एक डूबा हुआ भूभाग या एक भुला दी गई सभ्यता?
कुमरिकांडम, जिसे पश्चिमी विश्व में “लेमुरिया” कहा जाता है, एक ऐसा खोया हुआ भूखंड है, जिसकी चर्चा तमिल संगम साहित्य में बार-बार हुई है। प्राचीन तमिल ग्रंथों के अनुसार, यह महाद्वीप दक्षिण भारत से लेकर भारत महासागर के बीच फैला हुआ था।
तमिल साहित्य में इसके संकेत:
- तोल्काप्पियम और कनियन पूंगुंद्रनार जैसे ग्रंथों में इसका विवरण मिलता है।
- इसे तमिल संस्कृति की जन्मभूमि माना गया है।
- कहा जाता है कि यहाँ उन्नत विज्ञान, खगोलशास्त्र, दर्शन और कला का विकास हुआ था।
किंवदंती कहती है कि यह विशाल भूभाग समुद्र में समा गया — शायद किसी भूगर्भीय परिवर्तन या जलस्तर के बढ़ने से।
🛰️ विज्ञान क्या कहता है?
जहाँ एक ओर कुमरिकांडम को मिथक माना जाता है, वहीं दूसरी ओर भूवैज्ञानिक और समुद्र विज्ञानी मानते हैं कि प्राचीन काल में भूखंडों का डूबना कोई असंभव घटना नहीं थी।
भूगर्भीय संकेत जो इस सिद्धांत को बल देते हैं:
- भारत महासागर में कुछ ऐसे डूबे हुए भूभाग (submerged landmass) पाए गए हैं जो समुद्र के सतह से सैकड़ों मीटर नीचे हैं।
- रामसेतु (आदम्स ब्रिज), भारत और श्रीलंका के बीच फैला एक चूना पत्थर और पत्थर की श्रृंखला, जो रामायण में वर्णित पुल से मिलता-जुलता है।
- द्वारका, गुजरात के तट के पास समुद्र के नीचे एक प्राचीन नगरी, जिसके अवशेष हज़ारों साल पुराने माने जाते हैं।
इसके अलावा, टेक्टोनिक प्लेट्स की हलचलों और समुद्र तल में हज़ारों वर्षों में आए परिवर्तनों के कारण भूमि का डूबना वैज्ञानिक रूप से संभव है।
📚 रावण की लंका बनाम श्रीलंका: विवाद या व्याख्या?
वाल्मीकि रामायण में लंका का जो विवरण है, वह श्रीलंका से भिन्न लगता है:
- दूरी अधिक है।
- स्वर्ण महलों की भव्यता की कोई ऐतिहासिक पुष्टि नहीं मिलती।
- कई शोधकर्ता मानते हैं कि रामायण की लंका कहीं और थी— संभवतः अब समुद्र में समा चुकी कोई भूमि।
कुमरिकांडम को कुछ शोधकर्ता रावण की लंका मानते हैं। उनका कहना है कि इतनी समृद्धि और तकनीकी उन्नति केवल एक विशेष भूभाग में ही संभव थी, जो उस समय के अन्य स्थानों से भिन्न था।
🔬 पुराण बनाम विज्ञान: क्या दोनों मिल सकते हैं?
विशेषज्ञों के बीच दो मतधाराएँ हैं:
१. पारंपरिक और साहित्यिक मत:
ये मानते हैं कि रामायण में वर्णित लंका कुमरिकांडम में थी, और तमिल साहित्य इस बात का समर्थन करता है। वे इसे एक ऐतिहासिक सत्य मानते हैं, जिसे अब खोजने की ज़रूरत है।
२. वैज्ञानिक और संशयात्मक मत:
विज्ञान इस विचार को पूरी तरह नकारता नहीं है, लेकिन कहता है कि अभी तक ठोस भौतिक प्रमाण नहीं मिले हैं। यद्यपि समुद्र के नीचे कुछ असामान्य संरचनाएँ मिली हैं, पर उनका सीधा संबंध रावण की लंका या कुमरिकांडम से जोड़ना जल्दबाज़ी होगा।
🔎 आधुनिक खोजें और भविष्य की संभावनाएँ
भारत सरकार के NIOT (National Institute of Ocean Technology) और ISRO जैसी संस्थाएँ समुद्र के भीतर संरचनाओं की खोज में लगी हैं। आधुनिक तकनीक जैसे:
- सोनार मैपिंग
- LIDAR स्कैनिंग
- डीप सी रोबोटिक कैमरा
- सेटेलाइट इमेजिंग
इन तकनीकों के माध्यम से समुद्र के तल में दबी प्राचीन सभ्यताओं की परतें खुल रही हैं। शोधकर्ता मानते हैं कि यदि सही स्थानों पर खोज की जाए, तो कुमरिकांडम या प्राचीन लंका के प्रमाण मिल सकते हैं।
🔚 निष्कर्ष: क्या हम अतीत को फिर से पा सकते हैं?
रावण की लंका और कुमरिकांडम का रहस्य केवल इतिहास या पुराण का विषय नहीं, यह मानव सभ्यता के विकास और विलुप्ति का भी एक आयाम है। यदि कुमरिकांडम और लंका एक ही स्थान सिद्ध हो जाते हैं, तो यह भारतीय इतिहास में एक क्रांतिकारी मोड़ होगा, जहाँ मिथक और विज्ञान का मिलन संभव होगा।
अभी यह केवल एक सिद्धांत है, लेकिन विज्ञान की प्रगति और शोध की गहराई शायद भविष्य में इस रहस्य का पर्दा उठा दे।
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