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पूर्वोत्तर भारत अपनी जीवंत संस्कृति और रंगीन त्योहारों के लिए जाना जाता है। इस विविधतापूर्ण भूमि में, असम का रोंगाली बिहू एक ऐसा पर्व है जो प्रकृति के नवजीवन और खुशियों का प्रतीक है। इस वर्ष, त्रिपुरा की राजधानी अगरतला ने एक ऐतिहासिक क्षण का अनुभव किया। पहली बार, शहर ने रोंगाली बिहू के उल्लासपूर्ण रंगों को आत्मसात किया, और इस सांस्कृतिक संगम को साकार करने में सकारात्मक वार्ता नामक एक संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है, असमिया नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह वसंत ऋतु के आगमन, फसलों की बुआई और नई उम्मीदों का त्योहार है। पारंपरिक रूप से, यह सात दिनों तक चलता है, जिसमें गायों की पूजा, पारंपरिक नृत्य (बिहू नाच), लोक संगीत और स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं।
अगरतला में इस वर्ष पहली बार रोंगाली बिहू का आयोजन न केवल पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बना, बल्कि इसने शहर के लोगों को असम की समृद्ध परंपराओं से जुड़ने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान किया। सकारात्मक वार्ता के प्रयासों ने इस आयोजन को एक भव्य सफलता दिलाई। संगठन ने स्थानीय समुदायों को एक साथ लाने, कलाकारों को मंच प्रदान करने और बिहू के पारंपरिक रीति-रिवाजों को प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस अवसर पर, अगरतला का वातावरण उत्साह और उमंग से भरा हुआ था। पारंपरिक असमिया परिधानों में सजे लोग, ढोल और पेपा की मधुर ध्वनियों के साथ थिरकते हुए, एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। महिलाओं ने सुंदर बिहू नृत्य प्रस्तुत किया, जो वसंत की सुंदरता और उर्वरता का प्रतीक है। आगंतुकों को पारंपरिक असमिया व्यंजन जैसे पीठा, लारू और जलपान का स्वाद लेने का भी अवसर मिला, जिससे उन्हें असम की पाक कला की समृद्धि का अनुभव हुआ।
सकारात्मक वार्ता के एक सदस्य ने इस अवसर पर कहा, “हम बहुत खुश हैं कि अगरतला में पहली बार रोंगाली बिहू का आयोजन इतना सफल रहा। हमारा उद्देश्य पूर्वोत्तर की विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल बनाना और लोगों को एक-दूसरे की परंपराओं को समझने और सम्मान करने का अवसर प्रदान करना है। यह आयोजन उसी दिशा में एक छोटा सा कदम है।”
अगरतला में रोंगाली बिहू का यह पहला आयोजन निश्चित रूप से शहर के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ेगा। यह न केवल असमिया समुदाय के लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े रखेगा, बल्कि अन्य समुदायों को भी असम की जीवंत संस्कृति से परिचित कराएगा। सकारात्मक वार्ता का यह सराहनीय प्रयास पूर्वोत्तर की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने और लोगों के बीच आपसी प्रेम और सद्भाव को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले वर्षों में अगरतला में रोंगाली बिहू का यह रंग और भी गहरा होगा, जो शहर की सांस्कृतिक पहचान को और समृद्ध करेगा।
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