Physiology lecture by Dr. Samir Kumar Nag: त्रिपुरा शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज में एक शैक्षणिक आयोजन के दौरान डॉ. समीर कुमार नाग ने “हीमोसायटोमेट्री” पर एक विस्तृत और ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। यह विषय, जो रक्त कोशिकाओं की गिनती और उनके अध्ययन से संबंधित है, मेडिकल छात्रों और शिक्षकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र, फैकल्टी और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े अन्य पेशेवर उपस्थित रहे। इस आयोजन ने पब्लिक हेल्थ और क्लिनिकल डायग्नोस्टिक्स के महत्व को समझने का एक अद्भुत अवसर प्रदान किया।
हीमोसायटोमेट्री: एक परिचय
कार्यक्रम की शुरुआत में कॉलेज की डीन, डॉ. अनुराधा सिंह ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने कहा, “हीमोसायटोमेट्री का अध्ययन न केवल रक्त से जुड़े रोगों के निदान में सहायक है, बल्कि यह चिकित्सा विज्ञान के कई पहलुओं को भी जोड़ता है।” इसके बाद, डॉ. समीर कुमार नाग ने अपनी प्रस्तुति का आरंभ किया।
डॉ. नाग ने पहले हीमोसायटोमेट्री का परिचय देते हुए इसे रक्त कोशिकाओं के सटीक मापन और उनकी गणना की प्रक्रिया बताया। उन्होंने इसे चिकित्सा विज्ञान का एक अनिवार्य उपकरण बताया, जिसका उपयोग रक्त से जुड़े विभिन्न विकारों की पहचान और निदान में किया जाता है।
हीमोसायटोमेट्री के उपकरण और प्रक्रिया
डॉ. नाग ने बताया कि हीमोसायटोमेट्री में उपयोग किए जाने वाले मुख्य उपकरण “हीमोसायटोमीटर” और “माइक्रोस्कोप” हैं। उन्होंने उपकरण की संरचना और इसे सही तरीके से उपयोग करने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
- हीमोसायटोमीटर की संरचना:
- ग्लास स्लाइड और ग्रिड मार्किंग से युक्त, यह उपकरण रक्त कोशिकाओं की गणना के लिए तैयार किया गया है।
- इसके चेंबर में स्थिरता और सटीकता बनाए रखने के लिए विशेष डिजाइन का उपयोग किया गया है।
- ब्लड सैंपल की तैयारी:
- सैंपल को विशिष्ट घोल (डायल्यूटिंग फ्लूड) के साथ मिलाया जाता है।
- यह घोल रक्त कोशिकाओं को अलग-अलग देखने में मदद करता है।
- गणना की प्रक्रिया:
- माइक्रोस्कोप के माध्यम से ग्रिड में मौजूद कोशिकाओं को गिना जाता है।
- सफेद रक्त कोशिकाएं (WBC), लाल रक्त कोशिकाएं (RBC), और प्लेटलेट्स की संख्या निर्धारित की जाती है।
हीमोसायटोमेट्री के अनुप्रयोग
डॉ. नाग ने हीमोसायटोमेट्री के अनुप्रयोगों पर चर्चा करते हुए बताया कि यह तकनीक रक्त विकारों के निदान और उपचार में कितनी महत्वपूर्ण है। इसके प्रमुख उपयोग इस प्रकार हैं:
- एनीमिया और ल्यूकेमिया का निदान:
- RBC की गिनती से एनीमिया का पता लगाया जा सकता है।
- WBC की असामान्य संख्या ल्यूकेमिया जैसी गंभीर बीमारियों की ओर संकेत कर सकती है।
- संक्रमण और सूजन की पहचान:
- संक्रमण के दौरान WBC की संख्या बढ़ जाती है, जिससे रोग की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।
- रक्तस्राव विकारों का अध्ययन:
- प्लेटलेट्स की संख्या की जांच कर रक्तस्राव की प्रवृत्ति का आकलन किया जाता है।
- चिकित्सा अनुसंधान:
- नई दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों के प्रभाव का आकलन करने के लिए यह तकनीक उपयोगी है।
सटीकता और सावधानियां
डॉ. नाग ने जोर देकर कहा कि हीमोसायटोमेट्री में सटीकता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने इस प्रक्रिया में ध्यान देने योग्य बिंदुओं को समझाया:
- सैंपल का सही घोल तैयार करना: सैंपल और डायल्यूटिंग फ्लूड का अनुपात सही होना चाहिए।
- ग्रिड के केंद्रित क्षेत्रों में गणना: केवल निर्धारित क्षेत्रों में कोशिकाओं की गणना करना चाहिए।
- प्राकृतिक त्रुटियों से बचाव: उपकरण को साफ और सही तरीके से उपयोग करना चाहिए ताकि त्रुटियों से बचा जा सके।
हीमोसायटोमेट्री में नई प्रौद्योगिकी
डॉ. नाग ने लेक्चर के दौरान यह भी बताया कि कैसे तकनीकी प्रगति ने हीमोसायटोमेट्री को और अधिक प्रभावी बना दिया है।
- स्वचालित हीमोसायटोमीटर:
यह उपकरण मानव प्रयास को कम करते हुए सटीक परिणाम प्रदान करता है। - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग:
AI आधारित तकनीकें रक्त कोशिकाओं के पैटर्न और असामान्यताओं की पहचान में मदद कर रही हैं।
प्रश्नोत्तर सत्र और चर्चा
लेक्चर के अंत में छात्रों और फैकल्टी के लिए एक इंटरैक्टिव प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया। छात्रों ने डॉ. नाग से हीमोसायटोमेट्री से संबंधित अनेक प्रश्न पूछे।
एक छात्र ने पूछा, “क्या इस प्रक्रिया में किसी तरह की जैविक त्रुटि का जोखिम है?”
डॉ. नाग ने उत्तर दिया कि सैंपल की सही तैयारी और उपकरण की देखभाल से इन त्रुटियों को कम किया जा सकता है।
प्रशंसा और समापन
डॉ. नाग के व्याख्यान की सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। प्राध्यापक डॉ. रमेश दत्ता ने कहा, “डॉ. नाग ने कठिन विषय को सरल और प्रभावी तरीके से समझाया। यह व्याख्यान हमारे छात्रों के लिए अत्यंत लाभकारी था।”
छात्रों ने भी इस सत्र को अत्यंत ज्ञानवर्धक बताया। तृतीय वर्ष की छात्रा रिया सेन ने कहा, “यह लेक्चर मेरी समझ को गहरा करने के साथ-साथ मेरे व्यावहारिक कौशल को भी बेहतर करेगा।”
त्रिपुरा शांति निकेतन मेडिकल कॉलेज में डॉ. समीर कुमार नाग का यह व्याख्यान न केवल शैक्षणिक दृष्टिकोण से बल्कि व्यावहारिक ज्ञान के लिए भी एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने हीमोसायटोमेट्री की गहन जानकारी दी और इसके अनुप्रयोगों को समझाने में सफलता प्राप्त की।
यह आयोजन छात्रों और प्राध्यापकों के लिए एक प्रेरणादायक अनुभव था और इसे चिकित्सा क्षेत्र में ज्ञानवर्धन के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में याद किया जाएगा।
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