Lecture on Chronic Inflammation: शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ‘क्रोनिक इंफ्लेमेशन’ (दीर्घकालिक सूजन) पर एक अत्यधिक शिक्षाप्रद और सोचने को मजबूर करने वाला व्याख्यान आयोजित किया गया। यह सत्र डॉ. प्रेरणा मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया, जो चिकित्सा विज्ञान में अपनी विशेषज्ञता और सूजन से संबंधित रोगों पर गहन शोध के लिए प्रसिद्ध हैं। डॉ. मंडल ने इस सत्र को केवल एक शैक्षिक चर्चा तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे एक वास्तविक कक्षा में प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया, जो छात्रों, चिकित्सा पेशेवरों और स्वास्थ्य क्षेत्र में रुचि रखने वाले लोगों के लिए एक अत्यधिक प्रेरणादायक अनुभव था।
‘क्रोनिक इंफ्लेमेशन’ के बारे में गहराई से समझ
डॉ. मंडल ने ‘क्रोनिक इंफ्लेमेशन’ या दीर्घकालिक सूजन के बारे में समझाया, जो एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की सूजन का स्तर लंबे समय तक बना रहता है। उन्होंने बताया कि जब शरीर में सूजन लंबे समय तक रहती है तो यह कई गंभीर रोगों को जन्म देती है, जैसे कि हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, गठिया, और न्यूरोडिजेनेरेटिव बीमारियाँ (जैसे अल्जाइमर)।
डॉ. मंडल ने इस बात पर जोर दिया कि सूजन एक प्राकृतिक शरीर की प्रतिक्रिया है जो चोट या संक्रमण के समय सक्रिय होती है, लेकिन जब यह प्रतिक्रिया लंबे समय तक बनी रहती है, तो यह शरीर के स्वस्थ अंगों पर भी हमला कर सकती है। उन्होंने इसके प्रभावों को विस्तार से समझाया और बताया कि यह कई जटिल और पुरानी बीमारियों का कारण बन सकती है।
डॉ. मंडल ने सूजन के प्रमुख बायोमार्कर जैसे C-रिएक्टिव प्रोटीन (CRP), इंटरल्यूकिन्स (ILs), और ट्यूमर नेक्रोसिस फैक्टर-α (TNF-α) का भी वर्णन किया और बताया कि इनका इस्तेमाल सूजन संबंधित बीमारियों के निदान में कैसे किया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सूजन के कारण शरीर के विभिन्न अंगों में परिवर्तन और खराबी हो सकती है, जिससे बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
कक्षा में वास्तविक प्रदर्शन और सूजन के तंत्र का अवलोकन
इस व्याख्यान का एक प्रमुख आकर्षण कक्षा में किया गया वास्तविक प्रदर्शन था। डॉ. मंडल ने छात्रों को सूजन के तंत्र को समझाने के लिए इंटरेक्टिव मॉडल और उच्च तकनीक के दृश्य उपकरणों का उपयोग किया। इसमें यह दिखाया गया कि कैसे शरीर के इम्यून (प्रतिरक्षा) कोशिकाएँ, जैसे कि मैक्रोफेज और टी-कोशिकाएँ, चोट या संक्रमण के बाद प्रतिक्रिया करती हैं और सूजन की प्रक्रिया को आरंभ करती हैं।
इस प्रदर्शन में शरीर के विभिन्न अंगों और कोशिकाओं की सूजन प्रतिक्रिया को दिखाया गया, जिससे छात्रों को इसे समझने में मदद मिली। इसके अलावा, डॉ. मंडल ने एक केस स्टडी के माध्यम से यह भी बताया कि कैसे चिकित्सा पेशेवरों को किसी रोगी के बारे में निर्णय लेने से पहले सूजन की गहरी समझ प्राप्त करनी चाहिए। इस अभ्यास से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हुआ और वे समझ पाए कि चिकित्सा में सिद्धांत और वास्तविक जीवन में क्या अंतर हो सकता है।
सूजन और इसके विभिन्न रोगों पर प्रभाव
डॉ. मंडल ने दीर्घकालिक सूजन के विभिन्न रोगों में प्रभाव को भी उजागर किया। उन्होंने बताया कि यह सूजन ऑटोइम्यून बीमारियों, हृदय रोगों, कैंसर और न्यूरोलॉजिकल बीमारियों जैसे अल्जाइमर और पार्किंसंस रोग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
उन्होंने उदाहरण के तौर पर रुमेटॉयड आर्थराइटिस (RA) पर चर्चा की, जिसमें सूजन जोड़ो में होती है और यह दर्द, सूजन और अंततः जोड़ो के विकृत होने का कारण बन सकती है। इसी तरह, इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (IBD) में आंतों में सूजन होती है, जिससे दस्त, पेट दर्द और वजन घटने जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। डॉ. मंडल ने इन बीमारियों के जैविक तंत्र की भी व्याख्या की, जिससे छात्रों को यह समझने में मदद मिली कि इनका इलाज कैसे किया जा सकता है और इसके लिए किन-किन उपचार विधियों की आवश्यकता है।
उन्होंने इन बीमारियों में सूजन के कारण होने वाले आणविक और जैव रासायनिक परिवर्तनों को समझाया, जिनमें ऑक्सीडेटिव तनाव, फ्री रेडिकल्स, और एंटीऑक्सिडेंट्स की भूमिका प्रमुख है। इसके साथ ही, डॉ. मंडल ने यह भी बताया कि सूजन के इलाज में बायोलॉजिकल एजेंट्स (जैसे कि बायोलॉजिकल दवाएं), डाइटरी इंटरवेंशन्स (खाद्य आहार में परिवर्तन), और लाइफस्टाइल सुधार जैसे उपायों की भूमिका कैसे बढ़ सकती है।
लाइफस्टाइल और आहार का सूजन पर प्रभाव
एक और महत्वपूर्ण बिंदु जिस पर डॉ. मंडल ने जोर दिया, वह था जीवनशैली और आहार के प्रभाव को लेकर। उन्होंने समझाया कि स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम सूजन को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने विशेष रूप से उन खाद्य पदार्थों का उल्लेख किया, जो सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, जैसे फल, सब्जियाँ, ओमेगा-3 फैटी एसिड, और साबुत अनाज।
इसके अतिरिक्त, डॉ. मंडल ने मानसिक तनाव और नींद की गुणवत्ता को भी सूजन के स्तर को नियंत्रित करने में अहम बताया। उन्होंने छात्रों को यह समझाया कि किस प्रकार से तनाव को कम करने के लिए योग, ध्यान और पर्याप्त नींद से शरीर की इम्यून प्रणाली को बेहतर बनाया जा सकता है।
प्रश्नोत्तर सत्र और संवाद
डॉ. मंडल के व्याख्यान के बाद एक प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों और अन्य उपस्थित दर्शकों ने सूजन से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर प्रश्न पूछे। छात्रों ने सूजन से संबंधित नवीनतम शोध और उसके इलाज के तरीकों के बारे में विचार व्यक्त किए।
डॉ. मंडल ने छात्रों को सूजन के बारे में अधिक गहराई से सोचने और विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों के समन्वय के महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में चिकित्सकों को न केवल दवाओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा, बल्कि समग्र दृष्टिकोण से रोगियों का इलाज करना होगा।
डॉ. प्रेरणा मंडल द्वारा शांतिनिकेतन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में आयोजित ‘क्रोनिक इंफ्लेमेशन’ पर यह व्याख्यान छात्रों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए अत्यधिक शिक्षाप्रद और प्रेरणादायक था। यह सत्र केवल एक शैक्षिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि एक वास्तविक जीवन के अनुभव के रूप में पेश किया गया, जिसने छात्रों को सूजन और इसके प्रभावों को बेहतर समझने का अवसर प्रदान किया।
साथ ही, डॉ. मंडल ने जीवनशैली और आहार से संबंधित उपायों पर भी जोर दिया, जो दीर्घकालिक सूजन को नियंत्रित करने में सहायक हो सकते हैं। इस प्रकार, यह कार्यक्रम केवल चिकित्सा शिक्षा में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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